कायमगंज , फर्रुखाबाद: गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Dev Jayanti) पर विश्व बन्धु परिषद द्वारा कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष प्रो० रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा कि गुरु नानक देव ने सनातन वैदिक जीवन मूल्यों को व्यावहारिक बनाकर उन्हें लोकभाषा में प्रस्तुत किया। उन्होंने परिश्रम से जीविका चलाने और मिल बाट कर खाने का उपदेश दिया। उन्होंने तथागत बुद्ध के नास्तिकवाद और भिक्षु परंपरा का निषेध करते हुए लोगों से अकाल पुरुष परमात्मा से जुड़ने का आह्वान किया, गुरुवाणी कहती है परमेश्वर दे भुलया व्यापन सबै रोग।
गीतकार पवन बाथम ने कहा कि गुरु नानक देव ने जातीय समरसता का संदेश देते हुए छोटे और उपेक्षित तबके के लोगों को अपनी शिष्य परंपरा से जोड़ा। गुरुद्वारों में सभी के लिए आश्रय,लंगर और सेवादारी उसके प्रमाण हैं। किरत करना , बाट के खाना और नाम जपना ही सच्ची जीवन युक्ति है। पूर्व प्रधानाचार्य अहिवरन सिंह गौर,प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ल , वी०एस० तिवारी आदि ने कहा कि पंथ के अंतिम गुरु गोविंदसिंह जी ने आगे चलकर औरंगजेब की धर्मांधता के मद्देनजर हिंदू धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ चलाया
अखिल जगत में खालसा पंथ गाजे।जगे धर्म हिन्दू सबै भंड भाजै। अनुपम मिश्र ने कहा कि राष्ट्र धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए सिख वीरों और गुरुओं की रोंगटे खड़े कर देने वाली कुर्बानियां इतिहास में दर्ज हैं।वे हमारे राष्ट्र के जागरूक प्रहरी हैं।
छात्र यशवर्धन ने काव्यपाठ किया
शिक्षाएं गुरुग्रंथ की माने सर्व समाज।
हिंसा पीड़ित विश्व को नानक नाम जहाज।।
डॉ ० सुनीत सिद्धार्थ ने कहा कि धर्म का कार्य जोड़ना है तोड़ना नहीं।


