– नाराज रंजीत चक और पूर्व राष्ट्रीय सचिव विवेक यादव बोले अभी सपा कमजोर नहीं
यूथ इंडिया लखनऊ/फ़र्रूख़ाबाद। मिर्जापुर के ज़िला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा नेता राजू कन्नौजिया ने मंच से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गालियां देने कि बात और उन्हें पूरी तरह खत्म कर देने की धमकी, सहित आगरा मे करणी सेना के एक नेता ने गोली मारने की धमकी को लोकतंत्र को सीधी चुनौती मान अखिलेश समर्थकों मे गुस्सा बढ़ने लगा है। मगर हैरानी की बात यह है कि योगी सरकार खामोश है, न पुलिस हरकत में आई, न भाजपा ने कोई कार्रवाई की – क्या ये मौन समर्थन नहीं?
भाजपा नेता का बयान, और आगरा में गोली मारने की बात केवल आपत्तिजनक नहीं, साफ-साफ एक पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या की सार्वजनिक धमकी है। यह केवल कानून व्यवस्था की नाकामी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ पर हमला है। सवाल ये है – क्या यूपी में अब कानून सिर्फ विपक्ष के लिए है? क्या भाजपा नेता हत्या की धमकी देंगे और सरकार उन्हें बचाएगी?
फ़र्रूख़ाबाद के सपा नेता रंजीत चक ने हल्ला बोलते हुए कहा कि सपा अभी कमजोर नहीं राजू कन्नौजिया जैसे मानसिक दिवालियेपन के शिकार नेता यह भूल जाते हैं कि अखिलेश यादव अकेले व्यक्ति नहीं, वे एक सोच, एक विचारधारा और करोड़ों युवाओं की उम्मीद का नाम हैं। उनका अपमान करना, दरअसल उस पूरे वर्ग का अपमान है जो शिक्षा, सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों के लिए खड़ा है।
सपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और फ़र्रूख़ाबाद के खांटी समाजवादी नेता विवेक यादव ने कहा अगर आज अखिलेश यादव को गोली मारने की बात कही जा रही है, तो कल संविधान को जला देने की बात होगी। ये चुप नहीं बैठने का समय है, ये सड़कों पर उतरने का वक्त है।
बयान देने वाले राजू कन्नौजिया सिर्फ भाजपा नेता नहीं, करणी सेना से भी जुड़े बताए जा रहे हैं, जिनके ज़रिये प्रदेश में जातीय उन्माद और दहशत फैलाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। यह वही करणी सेना है जिसने पहले भी दलित विरोधी, पिछड़ा विरोधी काम किए।
संविधान न होता तो आज कपड़े धो रहे होते
कन्नौज के सपा नेता और अखिलेश यादव के करीवी प्रीतु कटियार ने कहा राजू कन्नौजिया जैसे लोगों को ये समझने की ज़रूरत है कि अगर संविधान न होता, अगर बाबा साहब अंबेडकर ने लड़ाई न लड़ी होती, तो ये लोग सत्ता के गलियारों में नहीं, अपने पुराने जातिगत पेशों में ही उलझे होते। आज जिन कुर्सियों पर बैठकर ये दलितों-पिछड़ों का मज़ाक उड़ा रहे हैं, वो कुर्सियां संविधान के संघर्षों का परिणाम हैं।
कन्नौज में डर का माहौल – क्या लोकतंत्र खत्म हो गया है?
वहीं,सपा का गढ़ माने जाने वाले कन्नौज में, जहाँ अखिलेश यादव खुद सांसद हैं, वहां आज उनके नेता घरों में दुबके बैठे हैं। सपा जिला अध्यक्ष करीम खां विधानसभा अध्यक्ष पीपी सिंह बघेल , तीनों विधासभा प्रत्याशी अरविंद यादव ,यस दोहरे ,विजय बहादुर पाल दीपू चौहान, बऊअन तिवारी,हसीव हसन नाजिम खां रजनीकांत यादव श्याम सिंह यादव इंद्रेश यादव सहित ताहिर सिद्दीकी भी दहशत मे है। यही हाल फ़र्रूख़ाबाद और खासकर मैनपुरी इटावा एटा का भी है,जबकि के इलाके सपा के गढ़ माने जाते है।भाजपा की चुप्पी और करणी सेना की दहशत ने लोकतांत्रिक विरोध को कुचलने की साज़िश रच डाली है।
क्या अखिलेश यादव जैसे राष्ट्रीय नेता के लिए इस प्रदेश में कोई सुरक्षा नहीं बची? क्या योगी सरकार की संवेदनशीलता केवल अपने नेताओं तक सीमित है?
आज जब करणी सेना के लोग खुलेआम पूर्व मुख्यमंत्री तक को जो खुद विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक घराने के आज मुखिया हो नहीं देश कि बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं उनको तक हत्या की धमकियां दे रहे हैं, और सरकार चुप है – तब ये साफ़ हो चुका है कि लोकतंत्र खतरे में है।
समाजवादी पार्टी को चाहिए कि इस मुद्दे को सदन से सड़क तक लेकर जाए, और जनता को भी समझना होगा कि आज अगर अखिलेश यादव को धमकाया जा रहा है, तो कल उनकी बारी भी आ सकती है।