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Thursday, August 7, 2025

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित

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  • महामंडलेश्वर एवं बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रवक्तानंद ने अर्पित की श्रद्धांजलि
  • धारा 370 हटाकर डॉ. मुखर्जी के सपनों को किया साकार: स्वामी प्रवक्तानंद महाराज

पीलीभीत। भारतीय जनसंघ के संस्थापक और देश की एकता-अखंडता के प्रबल पक्षधर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को श्री परम अक्रिय धाम कार्यालय पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर एवं बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रवक्तानंद महाराज ने पुष्पांजलि अर्पित कर राष्ट्रनायक को नमन किया।

पुष्पांजलि कार्यक्रम में डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रहित में किए गए संघर्षों और बलिदान को याद किया गया। महामंडलेश्वर प्रवक्तानंद महाराज ने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चल सकते” – इस विचार को क्रांति का रूप देने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। उन्होंने उस समय कश्मीर के लिए विशेष प्रावधानों के विरोध में आवाज़ बुलंद की, जब बोलना भी साहस की बात थी।

370 अब इतिहास, राष्ट्रवादियों की विजय – विधायक प्रवक्तानंद

विधायक स्वामी प्रवक्तानंद ने कहा कि जिस धारा 370 को हटाने के लिए डॉ. मुखर्जी ने आंदोलन शुरू किया था, आज उसी संकल्प को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पूरा कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटना डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत डॉ. मुखर्जी के विचारों और सिद्धांतों को आत्मसात कर निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। ऐसे महापुरुषों की पुण्यतिथि केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं होती, बल्कि उनके विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लेने का दिन होता है।

डॉ. मुखर्जी : शिक्षा, राष्ट्रवाद और बलिदान के प्रतीक

गौरतलब है कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के महान विचारक, शिक्षाविद् और स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री थे। उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी का आधार बना। कश्मीर को भारत से पूर्ण रूप से एकीकृत करने के लिए उन्होंने एक देश – एक विधान का नारा दिया और 1953 में इसी संघर्ष के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित जनों ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर संतगण, भाजपा कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता व स्थानीय नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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