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Friday, June 6, 2025

गंगा दशहरा पर आस्था का सैलाब: लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में पवित्र डुबकी

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– घाटों पर दिखा अध्यात्म और श्रद्धा का अद्भुत संगम, दान-दक्षिणा से किया जीवन को धन्य

 

फर्रुखाबाद: “गंग सकल सब मंगल मूला, सब सुख करनी हरनि सब सूला” – गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के पावन अवसर पर फर्रुखाबाद (Farrukhabad) जनपद के विभिन्न घाटों पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां गंगा के पावन जल में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे और पुण्य लाभ अर्जित किया। गंगा तटों पर दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने दान-दक्षिणा कर अपने जीवन को पुण्य से भर दिया।

गंगा स्नान के लिए जिले के पांचालघाट, बरगदिया घाट (फतेहगढ़), सिंगीरामपुर (कमालगंज), ढाईघाट (शमशाबाद), दुर्वासा आश्रम जैसे प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। न केवल फर्रुखाबाद, बल्कि बरेली, बदायूं, मैनपुरी, शिकोहाबाद, हरदोई आदि जनपदों से भी श्रद्धालु स्नान हेतु पहुंचे।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल, जल पुलिस, गोताखोरों की तैनाती की थी। बैरिकेडिंग, प्रकाश व्यवस्था, स्वास्थ्य शिविर और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। गंगा की तेज धारा को रोकने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में समाहित किया और फिर धीरे-धीरे उन्हें धरती पर प्रवाहित किया। तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन गंगा में स्नान कर गंगा स्तोत्र का पाठ करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। स्कंद पुराण में वर्णित “दशहरा स्तोत्र” का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। घाटों पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि गंगा दशहरा पर स्नान से न केवल शरीर और मन की शुद्धि होती है, बल्कि पूर्वजों की आत्मा को भी शांति मिलती है। भक्तों ने कहा कि गंगा मां केवल एक नदी नहीं, मोक्षदायिनी शक्ति हैं जो समस्त दुखों का हरण करती हैं।

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