फर्रुखाबाद। जनपद एक बार फिर उपेक्षा और लूट का शिकार हो गया है। जिन परियोजनाओं से जिले की तस्वीर बदल सकती थी, वे अब दूसरे जिलों में स्थापित की जा रही हैं। बौद्ध सर्किट, बौद्ध संग्रहालय, बौद्ध पार्क और यात्री विश्रामालय जैसी योजनाएं किसी और जिले की झोली में चली गईं, और फर्रुखाबाद के नेता या तो चुप रहे या कमीशनखोरी में व्यस्त।
बौद्ध सर्किट का हिस्सा बनने का मौका खोया
फर्रुखाबाद का संकिसा बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है, जहां भगवान बुद्ध स्वर्ग से अवतरित हुए थे। इसे बौद्ध सर्किट में शामिल करने की लंबे समय से मांग हो रही थी। लेकिन, यह योजना कुशीनगर, श्रावस्ती और सारनाथ जैसे अन्य स्थलों में सिमट कर रह गई।
सरकार ने 2023-24 में बौद्ध सर्किट के लिए करीब 500 करोड़ रुपये की योजना बनाई, जिसमें फर्रुखाबाद का नाम नहीं आया।
बौद्ध संग्रहालय गया अयोध्या
बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रस्तावित बौद्ध संग्रहालय की योजना भी फर्रुखाबाद के संकिसा में प्रस्तावित थी, लेकिन यह भी अयोध्या में स्थानांतरित कर दी गई।
संग्रहालय के लिए 120 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ, पर संकिसा को कुछ नहीं मिला।
यात्री विश्रामालय का निर्माण भी रुका संकिसा में आने वाले देश-विदेश के पर्यटकों के लिए विश्रामालय का प्रस्ताव था, लेकिन स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सुस्ती के कारण यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। बाद में यह योजना आगरा के फतेहपुर सीकरी में शिफ्ट कर दी गई।
फर्रुखाबाद की जनता सवाल कर रही है कि जब जिले की पहचान और विकास की योजनाएं छीनी जा रही थीं, तब उनके सांसद, विधायक क्या कर रहे थे? क्या उन्होंने कभी विधानसभा या संसद में इस मुद्दे को उठाया?
स्थानीय सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि यदि संकिसा जैसे ऐतिहासिक स्थल की अनदेखी की जाती रही, तो यह जिले के भविष्य के साथ अन्याय है।
साहस इंडिया ग्रुप के संयोजक ने कहा, “हम जनता को जागरूक करेंगे और संकिसा के हक की लड़ाई को आंदोलन का रूप देंगे।”
क्या कहती है जनता”हमने वोट विकास के लिए दिया था, न कि कमीशनखोरी के लिए। अगर नेता हमारा हक नहीं दिला सकते तो उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।” — व्यापारी अध्यक्ष