33.9 C
Lucknow
Saturday, June 21, 2025

“अनुभव: ज्ञान से श्रेष्ठ क्यों?”

Must read

शरद कटियार

हम सबकी ज़िंदगी हर सुबह नई उम्मीदों, चुनौतियों और शर्तों के साथ शुरू होती है। दिनभर की दौड़-भाग, फैसले, सफलताएं और असफलताएं जब शाम में ढलती हैं, तो अपने साथ कई अनुभव छोड़ जाती हैं। ये अनुभव न सिर्फ हमें मजबूत बनाते हैं, बल्कि हमारी सोच, समझ और दृष्टिकोण को भी नया आकार देते हैं।

सुबह की शर्तें और शाम के तजुर्बे:

प्रत्येक सुबह ज़िंदगी हमसे कुछ शर्तें रखती है—जैसे मेहनत करना, धैर्य रखना, दूसरों पर भरोसा करना या खुद को साबित करना। हम दिनभर इन शर्तों को निभाने की कोशिश करते हैं, और शाम होते-होते, चाहे हम जीतें या हारें, हम ज़रूर कुछ न कुछ सीखते हैं। यह सीख ही अनुभव कहलाती है, जो धीरे-धीरे हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बनती जाती है।

ज्ञान और अनुभव का अंतर:

ज्ञान वह है जिसे हम किताबों, गुरुओं और शिक्षण संस्थानों से पाते हैं। यह बुनियादी समझ देता है कि क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए। लेकिन जब यही ज्ञान व्यावहारिक दुनिया में आज़माया जाता है, तो जो परिणाम और समझ मिलती है—वही अनुभव है।

ज्ञान हमें रास्ता दिखाता है, लेकिन अनुभव बताता है कि उस रास्ते पर कैसे चलना है, कहाँ रुकना है और कहाँ संभलना है।

अनुभव क्यों है श्रेष्ठ?

अनुभव हमें परिस्थितियों में जीकर सिखाता है, जिससे हम आगे और बेहतर निर्णय ले पाते हैं। अनुभवी व्यक्ति जीवन की ठोकरों से डरता नहीं, बल्कि उनसे सीखकर आगे बढ़ता है। जीवन की उलझनों को जिस सरलता से अनुभव सुलझाता है, वह केवल पढ़ा-लिखा ज्ञान नहीं कर सकता। अनुभव से निकला ज्ञान अधिक स्थायी और गहरा होता है क्योंकि वह हमारे भावनात्मक और मानसिक स्तर पर असर करता है। इसलिए कहा गया है, “ज्ञान से अनुभव श्रेष्ठ होता है।”

किताबें हमें सिखा सकती हैं कि समुद्र कैसा होता है, लेकिन जब हम खुद उसमें उतरते हैं और तैरना सीखते हैं, तभी असली समझ आती है। ज़िंदगी की हर शाम, जो हमें तजुर्बे देती है, असल में हमें हर सुबह के लिए बेहतर तैयार करती है।

तो अगली बार जब जीवन कोई शर्त लेकर आए, तो उसे स्वीकार कीजिए। क्योंकि हर तजुर्बा, चाहे मीठा हो या कड़वा, आपको कहीं न कहीं परिपक्व बना रहा है—और यही है असली सफलता की शुरुआत।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article