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Tuesday, February 11, 2025

महाकुंभ मेला: एक आयोजन, कई सवाल

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प्रशासन की विफलताएं ,सरकार की प्रतिक्रियाएं

 

प्रशांत कटियार ✍🏿

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले की भव्यता और धार्मिक महत्व पर कोई सवाल नहीं है। यह आयोजन न केवल भारत के सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि विश्वभर से श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेने के लिए आते हैं। हालांकि, इस बार महाकुंभ के दौरान हुई घटनाओं ने प्रशासन की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आगजनी की घटनाओं और भगदड़ के बाद हुए नुकसान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इतने बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर पूरी सतर्कता की आवश्यकता है।

महाकुंभ मेले में पिछले कुछ दिनों में आगजनी और भगदड़ जैसी घटनाओं ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर किया। आग की घटनाओं में कई पंडाल जलकर खाक हो गए, लेकिन सबसे चिंताजनक घटना भगदड़ की थी, जिसमें 30 से अधिक लोग मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हो गए। जबकि प्रशासन ने इस बार सुरक्षा उपायों के तहत 744 सीसीटीवी कैमरे, एआई तकनीक, और भीड़ नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक मॉडलिंग का इस्तेमाल करने का दावा किया था, फिर भी ये घटनाएं क्यों घटित हुईं, यह सवाल अब भी अधूरा है। इन घटनाओं ने यह दिखा दिया कि तकनीकी उपायों के बावजूद जब तक जमीनी स्तर पर सही व्यवस्थाएं नहीं होंगी, तब तक सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा।

महाकुंभ मेला और प्रयागराज शहर में सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए कुल 744 सीसीटीवी कैमरे महाकुंभ मेला क्षेत्र में लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, शहर में 1107 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं और पार्किंग स्थलों पर 720 कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों को एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से जोड़ा गया है, जो भीड़ के घनत्व और स्थिति पर निगरानी रखता है। इसके अलावा, एआई तकनीक और मेट्रिक्स मॉडलिंग का उपयोग किया जा रहा है, ताकि भीड़ के घनत्व का सही-सही आंकलन किया जा सके और सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके। इसके बावजूद, ऐसी घटनाओं का घटित होना यह संकेत करता है कि इन तकनीकी उपायों को सही तरीके से लागू करना और वास्तविक समय में प्रतिक्रिया देना भी महत्वपूर्ण है।

महाकुंभ में हुई इन घटनाओं पर संतों और धार्मिक नेताओं का गुस्सा स्वाभाविक था। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार की तैयारियों पर कड़ी आलोचना की। उनका कहना था कि जब इतने बड़े आयोजन की इतनी बड़ी तैयारी की जाती है, तो ऐसी घटनाएं दुखद और चिंताजनक हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान पर भी सवाल उठाया, जिसमें दावा किया गया था कि कोई मौत नहीं हुई। स्वामी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत थी। यह न केवल श्रद्धालुओं के विश्वास को कमजोर करता है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है।

महाकुंभ में हुई घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुआवजा देने और उच्च स्तरीय बैठक करने का वादा किया। मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा घोषित किया गया, और प्रशासन को घटना की जांच के लिए निर्देशित किया गया। साथ ही, अनुभवी अधिकारियों की तैनाती की गई, जो पहले भी बड़े मेलों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। हालांकि, यह कदम देर से उठाए गए हैं, और अब यह देखना होगा कि सरकार भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।

प्रशान्त कटियार(स्टेट हेड)
प्रशान्त कटियार(स्टेट हेड)

हाकुंभ मेला एक सांस्कृतिक और धार्मिक पर्व है, जिसे दुनिया भर से श्रद्धालु आकर अपने पुण्य अर्जित करते हैं। यह आयोजन भारत के धार्मिक गौरव को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही प्रशासन को यह समझने की आवश्यकता है कि जब इतने बड़े स्तर पर लोग एकत्रित होते हैं, तो सुरक्षा और व्यवस्थाएं सर्वोत्तम होनी चाहिए। सरकार और प्रशासन को महाकुंभ जैसे आयोजनों में तकनीकी और भौतिक सुरक्षा उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे, और इसे प्राथमिकता के रूप में लें, ताकि महाकुंभ की भव्यता को हर दृष्टि से सम्मानित किया जा सके।

लेखक दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड हैं।

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