लखनऊ: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (Education Culture Upliftment) अवध प्रांत ने 2 जुलाई को अपना स्थापना दिवस (foundation day) मनाया इस अवसर पर न्यास ने समाज में चरित्रवान नागरिकों के निर्माण हेतु चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व के समग्र विकास विषय पर एक विमर्श का आयोजन लखनऊ के स्कार्पियो क्लब परिसर में स्थित धर्म भारती राष्ट्रीय शान्ति एवं सतत विकास विद्या पीठ में किया गया. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ विद्या विन्दु सिंह और मुख्य वक्ता चिन्मय मिशन के ब्रह्मचारी आचार्य स्वामी कौशिक चैतन्य जी महाराज थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो कीर्ति नारायण ने किया।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत के संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने बताया कि व्यक्तित्व का विकास प्रक्रिया है चरित्र निर्माण उसका परिणाम, सम्पूर्ण शिक्षा तथा समस्त अध्ययन का एकमेव उद्देश्य है व्यक्तित्व को गढ़ना शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का स्थापना दिवस 2 जुलाई को मनाया जाता है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, भारत में शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाला एक संगठन है, इसके संस्थापक दीनानाथ बत्रा थे, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक और विद्या भारती के पूर्व निदेशक भी रहे हैं।
चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास विषय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का आधारभूत विषय हैं, क्योंकि मूल्यपरक शिक्षा के अभाव में मनुष्य के चरित्र का निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास कठिन कार्य है। सही अर्थों में शिक्षा में भारतीयता तभी आ सकती है, जब उसमें मूल्यबोध का समावेश हो। इसी को ध्यान में रखकर ‘चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास” विषय को न्यास ने आगे बढ़ाया है। इस दृष्टि से “पंचकोश की संकल्पना” को ” केन्द्र में रखकर न्यास ने विद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम और पुस्तकें तैयार की हैं और निरंतर इस विषय की कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि आत्मतत्व का व्यक्त रूप है व्यक्ति, सृष्टि पर जीवों में श्रेष्ठ व्यक्त रूप मनुष्य है व्यक्ति की भाववाचक संज्ञा व्यक्तित्व. इनके दो हिस्से हैं आतंरिक एवं बाह्य, व्यक्तित्व को समझना है तो पञ्च कोष(अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष और आनंदमय कोष) को समझना होगा. पांचों कोषों का विकास यानि व्यक्तित्व का समग्र विकास इस हेतु कुछ करणीय बिन्दु है जैसे मन की एकाग्रता बढ़ाने हेतु अध्ययन,स्वाध्याय,पढाई कार्य शुरू करने से पूर्व तीन बार ॐकार एवं एक मिनुत मौन रखें ।