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Tuesday, April 22, 2025

AMU के संस्थापक की बायोपिक टेलिकास्ट करने से दूरदर्शन का इंकार

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अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के संस्थापक सर सैयद अहमद खान पर बनी बायोपिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया है, लेकिन राष्ट्रीय दूरदर्शन ने इसे प्रसार भारती के ओटीटी पर स्ट्रीम करने से साफ मना कर दिया है। फिल्म ‘सर सैयद अहमद खान: द मसीहा’ हाल ही में रिलीज की गई है। यह बायोपिक सर सैयद खान के जीवन पर बनाई गई है। फिल्म निर्माता ने कहा कि ऐसा लगता है कि राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए मेरे प्रपोजल को कैंसिल कर दिया है।

मुंबई स्थित प्रोडक्शन हाउस डार्क हॉर्स प्रोडक्शंस को लिखे अपने पत्र में प्रसार भारती के कार्यक्रम कार्यकारी ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सर सैयद अहमद खान पर आधारित कार्यक्रम की पेशकश करने वाला आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया है। पीबी ओटीटी आने वाले प्लेटफॉर्म पर रेवेन्यू शेयरिंग मोड (आरएसएम) के तहत प्रसारण/स्ट्रीम के लिए योग्य नहीं हो सका।

भड़क गए निर्माता शोएब चौधरी

दूरदर्शन के जवाब के बाद निर्माता नायक शोएब चौधरी बेहद नाराज नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने डीडी के लिए जो धारावाहिक बनाया था।वह डीडी के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चला। यह चौंकाने वाला है कि एक प्रमुख सुधारवादी और शिक्षाविद सर सैयद पर मेरी बायोपिक राष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारण के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग के लिए क्वालीफाई करने में फेल रही। ऐसा लगता है कि डीडी ने अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए मेरे प्रपोजल को कैंसिल कर दिया है।

क्या है बायोपिक में खास?

सर सैयद के जीवन पर आधारित यह बायोपिक उनकी जीवनी ‘हयात-ए-जावेद’ पर आधारित है। फिल्म में सर सैयद के संघर्षों और उनके प्रयासों को दिखाया गया है। इसके कारण वे भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा और सामाजिक सुधार के प्रेरणा स्रोत बने। 2020 में AMU के शताब्दी उत्सव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएमयू के परिसर को ‘मिनी-इंडिया’ करार दिया था।

AMU ओल्ड बॉयज एसोसिएशन, दिल्ली एनसीआर के अध्यक्ष मुदस्सिर हयात ने कहा कि सर सैयद जैसे महान नेता की जीवनगाथा को देश, खासकर नई पीढ़ी को दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बायोपिक कई भ्रांतियों को दूर कर सकती है और नई पीढ़ी को प्रेरित कर सकती है कि शिक्षा को प्रगति का उपकरण बनाया जाए।

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