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Monday, July 7, 2025

लोहिया अस्पताल के डॉक्टर पर नियमों की अनदेखी का आरोप

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  • सरकारी पर्ची पर निजी क्लिनिक का प्रचार, गरीब मरीजों की मजबूरी का हो रहा शोषण

संदीप सक्सेना

फर्रुखाबाद। डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में तैनात एक बाल रोग विशेषज्ञ पर सरकारी सेवा का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाने का गंभीर आरोप सामने आया है। शिकायत के अनुसार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप दीक्षित सरकारी पर्ची पर अपना मोबाइल नंबर और पता लिखकर मरीजों को अपने निजी क्लिनिक पर बुला रहे हैं, जो कि सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन है।

डॉ. दीक्षित का निजी क्लिनिक आवास विकास स्थित उनके आवास पर है। अस्पताल आने वाले गरीब मरीजों को वह सरकारी पर्ची पर अपनी प्राइवेट मोहर लगाकर निजी क्लिनिक पर बुलाने का काम कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि वह सरकारी अस्पताल में इलाज के नाम पर केवल दिखावे की खानापूरी कर रहे हैं और असल इलाज के लिए गरीबों को निजी क्लिनिक भेजा जा रहा है, जहां उनसे फीस लेकर इलाज किया जाता है।

एक ताजा मामला 2 वर्षीय बच्चे का

यह मामला तब उजागर हुआ जब शहर के घूमना मोहल्ला निवासी गुलफाम का दो वर्षीय पुत्र हैदर अली, जो कि कुपोषण का शिकार था, को 21 मई 2025 को लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड में भर्ती किया गया था। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद 3 जून को छुट्टी दे दी गई और उसे 4 जुलाई को नियमित जांच के लिए बुलाया गया।

इस बीच बच्चे को खांसी, जुकाम और बुखार की शिकायत हो गई, जिस पर परिजन उसे अस्पताल की ओपीडी में ले गए। वहां मौजूद डॉ. अनूप दीक्षित ने सरकारी पर्ची पर अपना नाम, मोबाइल नंबर और पता लिखकर परिजनों को सौंप दिया और कहा कि “आवास विकास में मेरा क्लिनिक है, वहीं आओ, वहां बेहतर इलाज मिलेगा।”

नियमों का सीधा उल्लंघन

डॉ. दीक्षित द्वारा यह कार्य कोई पहली बार नहीं किया गया। जानकारी के अनुसार, उन्होंने एक निजी मोहर (स्टाम्प) बनवा रखी है, जिसे वे खुलेआम सरकारी पर्चियों पर लगा देते हैं, और इसी बहाने मरीजों को अपने प्राइवेट क्लिनिक पर बुला लेते हैं।

इस संबंध में जब अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रंजन गौतम से पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा,

“सरकारी अस्पताल में तैनात किसी भी चिकित्सक को यह अधिकार नहीं है कि वह सरकारी पर्ची पर अपने निजी क्लिनिक का प्रचार करे या मरीज को निजी क्लिनिक पर बुलाए। यदि कोई भी मरीज इस संबंध में शिकायत करता है तो कार्रवाई की जाएगी।”

यह गंभीर मामला जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को भी उजागर करता है, जहां अस्पताल के डॉक्टर खुलेआम नियमों की अनदेखी कर गरीबों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।

अब मरीजों और जागरूक नागरिकों की मांग है कि डॉ. अनूप दीक्षित के खिलाफ तत्काल विभागीय जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि सरकारी अस्पतालों की छवि बची रहे और गरीबों को सही इलाज मिल सके।

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