वृंदावन। देश की स्वतंत्रता संग्राम, शिक्षा, शांति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अतुलनीय योगदान देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी त्यागमूर्ति राजा महेन्द्र प्रताप जी की 46वीं पुण्यतिथि आज श्रद्धा और सम्मान के साथ प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज, वृंदावन के प्रांगण में मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय परिवार एवं स्थानीय नागरिकों ने उनकी पुण्य स्मृति को नमन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत राजा महेन्द्र प्रताप जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, जिसके उपरांत सभी ने उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. देव प्रकाश ने केंद्र सरकार से मांग की कि त्याग, समर्पण और राष्ट्रसेवा के प्रतीक राजा महेन्द्र प्रताप जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा, “राजा साहब न केवल भारत की आजादी के अग्रदूत थे, बल्कि शिक्षा और वैश्विक शांति के भी महान संदेशवाहक थे।”
डॉ. देव प्रकाश ने बताया कि मात्र 23 वर्ष की आयु में राजा महेन्द्र प्रताप जी ने प्रेम महाविद्यालय की स्थापना केशीघाट स्थित अपने राजमहल में की थी, जिसका उद्घाटन पंडित मदन मोहन मालवीय के करकमलों से हुआ था। इसके अतिरिक्त उन्होंने 1911 में वृंदावन में गुरुकुल विश्वविद्यालय की भी स्थापना की।
1 दिसंबर 1915 को काबुल में उन्होंने अस्थायी हिंद सरकार की स्थापना की, जिसमें वे राष्ट्रपति और बरकतुल्ला खान प्रधानमंत्री नियुक्त हुए। यह ऐतिहासिक कदम भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की दिशा में क्रांतिकारी था।
राजा साहब को 1932 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। उन्होंने जापान में आजाद हिंद फौज की नींव भी रखी, जिसके सेनानायक बाद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस बने। 32 वर्षों तक विदेश में रहकर उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अथक प्रयास किए।
साल 1957 में मथुरा से लोकसभा चुनाव जीतकर वे संसद पहुंचे। यह गौरतलब है कि उनके प्रतिद्वंदी रहे श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता से अपील की थी कि वे राजा साहब को वोट दें ताकि एक सच्चे देशभक्त को संसद में स्थान मिले।
राजा महेन्द्र प्रताप जी के योगदान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बार-बार रेखांकित किया है। अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
उनकी स्मृति में 1979 में डाक टिकट जारी किया गया था और 1975 में चौधरी दिगम्बर सिंह द्वारा 800 पृष्ठीय अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन किया गया था, जिसका विमोचन तत्कालीन गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने किया था।
प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज के जीर्णोद्धार का कार्य शिक्षा कायाकल्प न्यास के तत्वावधान में डॉ. रश्मि सलूजा के CSR नेतृत्व में किया जा रहा है, जिससे यह संस्थान पुनः गौरवशाली स्वरूप ले रहा है।
इस पुण्य अवसर पर डॉ. देव प्रकाश के साथ उप प्रधानाचार्य श्री शिव अधार सिंह यादव, प्रवक्ता श्री अजय कुमार मौर्य, डॉ. खुशबू भारती, डॉ. सोमकान्त त्रिपाठी, श्री पंकज चौधरी, श्रीमती सुमन रानी आदि शिक्षकगण उपस्थित रहे। सहायक अध्यापक, लिपिकगण, सफाई एवं आउटसोर्सिंग कर्मचारीगण ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।