2015 के धरना-जाम प्रकरण में कोर्ट सख्त, मंत्री की अनुपस्थिति पर नाराज़गी
बलिया: उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है।
बलिया की विशेष सीजेएम कोर्ट ने 10 वर्ष पुराने एक मामले में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया है।
यह मामला सितंबर 2015 का है, जब दयाशंकर सिंह, व्यापारी नेता नागेंद्र पांडेय और अरविंद गांधी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में व्यापारियों ने मालगोदाम रोड पर प्रदर्शन किया था।
उस समय धारा 144 लागू थी, लेकिन इसके बावजूद भीड़ ने सड़क जाम कर आवागमन बाधित किया था।
उप निरीक्षक सत्येंद्र राय की तहरीर पर दयाशंकर सिंह समेत 17 नामजद और 100-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने 3 जुलाई को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, लेकिन मंत्री अदालत में पेश नहीं हुए।
30 अगस्त की सुनवाई के बाद 13 अक्टूबर को तय हुई तारीख पर भी मंत्री की गैरहाजिरी रही, जिसके चलते कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया।
कोर्ट ने अगली सुनवाई 1 नवंबर 2025 तय की है।
कानूनी जानकारों के अनुसार, अगर मंत्री अगली सुनवाई में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
विपक्षी दलों ने इस मामले पर सरकार से जवाब मांगा है और कहा कि “कानून सबके लिए समान होना चाहिए।”





