कमालगंज: विकासखंड कमालगंज के अंतर्गत स्थित सिंगीरामपुर, जो सनातन धर्म में एक विशेष धार्मिक और आस्था का केंद्र माना जाता है, आज नेताओं की उपेक्षा और भ्रष्टाचार का शिकार बनता जा रहा है। सावन मास में यहां उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर जैसे क्षेत्रों से लाखों कांवरिया जल भरने आते हैं, लेकिन उनकी आस्था और विश्वास का यह केंद्र बुरी तरह उपेक्षित है।
सड़कों की हालत बेहद खराब, जगह-जगह गड्ढे, कीचड़ और जलभराव की स्थिति ने कांवरियों की यात्रा को जोखिमभरा बना दिया है। रजीपुर से सिंगीरामपुर की ओर जाने वाले मार्ग पर बड़े वाहनों की तो बात ही छोड़िए, छोटे वाहन भी नहीं निकल पा रहे। हर साल सरकार और जनप्रतिनिधियों द्वारा रास्ता सुधारे जाने के वादे किए जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
“यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा”
सड़क किनारे “यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा” जैसे लुभावने बोर्ड लगाकर दिखावा किया जाता है, जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल या जोखिमभरे रास्तों से गुजरना पड़ता है। स्थानीय ग्रामीणों और दुकानदारों में गहरा आक्रोश है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि विकास उन्हीं जगहों पर कराते हैं जहां उन्हें जातीय लाभ या कमीशन मिलने की संभावना होती है। सिंगीरामपुर जैसे विशाल धार्मिक स्थल की अनदेखी इस बात का प्रमाण है कि यह क्षेत्र राजनीतिक लाभ के हिसाब से उपेक्षित कर दिया गया है।
सावन के महीने में सिंगीरामपुर में हजारों की संख्या में अस्थायी दुकानें लगती हैं, लेकिन खराब रास्ते के कारण ग्राहकों की आवाजाही बाधित होती है। इससे दुकानदारों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और जिला प्रशासन इस धार्मिक व पर्यटन स्थल की ओर ध्यान दे, सड़क मार्ग को जल्द से जल्द दुरुस्त कराए और स्थायी विकास की योजना बनाई जाए, ताकि न सिर्फ श्रद्धालुओं को सुविधा हो बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी संजीवनी मिले।