हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहाँ उपभोक्ता (Consumers), जिसे “राजा” कहा जाता है, लगातार धोखाधड़ी और शोषण का शिकार हो रहा है। चाहे वह पेट्रोल पंप पर माप की गड़बड़ी हो, नकली दवाओं का बाजार हो, या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर साइबर धोखाधड़ी, उपभोक्ता की हर दिशा में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भारत में हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है, जो उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और जागरूकता बढ़ाने का प्रतीक है।
1986 में पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ने उपभोक्ताओं को सुरक्षा, सूचना, विकल्प, शिकायत निवारण और शिक्षा जैसे छह बुनियादी अधिकार दिए। लेकिन क्या आज का उपभोक्ता इन अधिकारों का सही उपयोग कर पा रहा है? क्या हम एक जागरूक और सतर्क समाज की ओर बढ़ रहे हैं, या उपभोक्ता की भूमिका केवल मूक दर्शक बनकर रह गई है?
पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन, जो हर व्यक्ति की रोजमर्रा की जरूरत है, अक्सर उपभोक्ता शोषण के प्रमुख साधन बन जाते हैं। कई पेट्रोल पंप उपभोक्ताओं को दी जाने वाली मुफ्त सेवाओं—जैसे शौचालय, पीने का पानी, और टायरों में हवा भरने की सुविधा—के लिए भी पैसे वसूलते हैं। जबकि ये सेवाएँ पहले से ही पेट्रोल की कीमत में शामिल होती हैं।
यहां तक कि ईंधन की माप और गुणवत्ता पर भी सवाल उठते हैं। माप की गड़बड़ी उपभोक्ता को सीधे आर्थिक नुकसान पहुंचाती है। पेट्रोल पंप पर कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों को गुमराह करना या सेवा से इनकार करना आम बात हो गई है। ऐसे में उपभोक्ता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और ऐसे मामलों में संबंधित प्राधिकरण से शिकायत करनी चाहिए।
आज के दौर में उत्पादों की गुणवत्ता पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। चाहे वह खाद्य सामग्री हो, इलेक्ट्रॉनिक सामान हो, या दवाइयाँ—हर क्षेत्र में मिलावट और नकली उत्पादों की भरमार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नकली दवाइयाँ वैश्विक दवा बाजार का 10 प्रतिशत हिस्सा बनाती हैं। भारत में 5 प्रतिशत दवाइयाँ नकली हैं, जिनमें से अधिकांश मानव स्वास्थ्य के लिए घातक हैं।
हाल ही में नागपुर के सरकारी अस्पताल में नकली दवाइयों के वितरण ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। घी, शहद, मसाले, और दूध जैसे रोजमर्रा के उत्पादों में मिलावट ने उपभोक्ता के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है। क्या आज हम यह दावा कर सकते हैं कि जो खाद्य सामग्री हम खरीद रहे हैं, वह शुद्ध और सुरक्षित है?
डिजिटल युग में, जहाँ एक ओर तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। नकली वेबसाइट, फेक कॉल, और फर्जी ईमेल से उपभोक्ता को ठगा जा रहा है।
2023-24 में साइबर धोखाधड़ी से भारत को 2,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। 76,000 से अधिक फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से लाखों उपभोक्ताओं को ठगा गया। यह समस्या केवल वित्तीय नुकसान तक सीमित नहीं है; यह उपभोक्ता के डिजिटल जीवन को भी असुरक्षित बना देती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर झूठे विज्ञापन और फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट उपभोक्ता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। अक्सर लोग सस्ते उत्पादों के लालच में फंस जाते हैं और धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं। कंपनियाँ इस समस्या को हल करने के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। झूठे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने और धोखाधड़ी में शामिल वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए सख्त नियमों की आवश्यकता है।
क्रिसिल और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बिकने वाले सभी उत्पादों में से 25-30 प्रतिशत नकली हैं। नकली ऑटो पार्ट्स, एफएमसीजी उत्पाद, और दवाइयाँ उपभोक्ता को आर्थिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाते हैं। नकली उत्पाद न केवल उपभोक्ता के लिए हानिकारक हैं, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं।
इन सभी समस्याओं का समाधान केवल उपभोक्ता जागरूकता से संभव है। प्रत्येक उपभोक्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं। उत्पाद खरीदते समय उसके लेबल, गुणवत्ता, और प्रमाणपत्र की जांच करें। हर खरीदारी पर पक्का बिल लें, क्योंकि यह शिकायत दर्ज कराने के लिए आवश्यक होता है। किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले उसकी प्रामाणिकता की पुष्टि करें।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय विभिन्न प्लेटफॉर्म्स जैसे राष्ट्रीय ग्राहक हेल्पलाइन (1915), साइबर क्राइम पोर्टल, और उमंग ऐप के माध्यम से उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करता है।
एक जागरूक उपभोक्ता ही एक सुरक्षित और मजबूत समाज की नींव रख सकता है। उपभोक्ता दिवस केवल एक दिन के उत्सव तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह हमें यह याद दिलाने का दिन है कि हमारे अधिकारों की रक्षा और जागरूकता के लिए निरंतर प्रयास जरूरी है।
हर भारतीय उपभोक्ता को यह समझना होगा कि जागरूकता ही वह शक्ति है जो झूठ, दिखावा, और भ्रामकता को खत्म कर सकती है। आइए, हम सभी इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाएँ और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ हर उपभोक्ता सुरक्षित, जागरूक और संतुष्ट हो।