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Wednesday, March 12, 2025

भू-माफियाओं ने बेच डाली शत्रु संपत्ति, कई मामलों में जांच जारी

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-देशभर में अब तक 12 हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों की हो चुकी पहचान
-यूपी में सबसे ज्‍यादा शत्रु संपत्तियां, कई मामलों में की जा रही जांच
-फर्रुखाबाद में अब तक 39 शत्रु संपत्तियां हुईं चिह्नित

मोहम्मद आकिब खांन
यूथ इंडिया: देश बंटवारे के दौरान जो लोग पाकिस्तान जाकर बस गये थे, उनकी जमीन आज भी भारत में है। वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के बाद संसद की मंजूरी मिलने के बावजूद भी अब तक सैकड़ो संपत्तियों पर प्रशासन की अनदेखी के कारण पाकिस्तान गए लोगों के रिश्तेदार या कुछ भू-माफिया कब्जा किए बैठे हैं। कुछ संपत्तियों की तो बिक्री कर भू-माफिया रकम ही डकार गए हैं।

भारत सरकार ने देशभर में अब तक 12 हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों के नाम है। वहीं, अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाये तो यहाँ पांच हजार से अधिक शत्रु संपत्तियों की पहचान हो चुकी है। इसके अलावा प्रदेश में ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जिनकी अभी पहचान नहीं हुई है जहाँ लोग काबिज है। वहीं, कई ऐसी संपत्तियां भी हैं जिनपर भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से हस्तांतरण करा लिया है।

शत्रु संपत्ति अभिरक्षक से प्राप्त ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं, जहाँ इनकी संख्या 5688 है। वहीं, पश्चिम बंगाल में 4354, दिल्ली में 633, गोवा में 244, महाराष्ट्र में 430, तेलंगाना में 234, गुजरात में 127, मध्य प्रदेश में 148, छत्तीसगढ़ में 78, हरियाणा में 71, उत्तराखंड में 51, बिहार में 94, झारखंड में 10, राजस्थान में 13, केरल में 68, तमिलनाडु में 66, मेघालय में 53, आन्ध्र प्रदेश में 46, असम में 31, कर्नाटक में 38, त्रिपुरा में 500, दमन और दीव में 4 और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 2 शत्रु संपत्तियां मौजूद हैं।

फर्रुखाबाद में अब तक 39 शत्रु संपत्तियां चिह्नित
फर्रुखाबाद में अब तक 39 शत्रु संपत्तियां चिन्हित की जा चुकी हैं, जिनमें से 11 तहसील सदर और 28 तहसील कायमगंज में स्थित हैं। तहसील सदर क्षेत्र के गांव भडौसा में चुन्ना पुत्र वली मोहम्मद के नाम पर 10 संपत्तियां हैं वहीं, उनके भाई नजर मोहम्मद के नाम पर एक संपत्ति है। तहसील कायमगंज में अब्दुल मुकीत खां के नाम पर गांव रुदायन में 15, गांव लोधीपुर में 6, गांव लखनपुर और करीमनगर में एक-एक संपत्ति है। इसके अलावा कायमगंज के ही गांव चिलसरा में सत्तार अली खां के नाम पर 3 शत्रु संपत्तियां हैं। वहीं, गांव चिलौली ग्रामीण में इब्कार अली खां व अब्बास अली खां और कायमगंज के मोहल्ला हलवाइयान में साबिया बेगम व सादिया बेगम के नाम पर एक संपत्ति है।

क्या है शत्रु संपत्ति ?
देश बंटवारे के दौरान जो लोग पाकिस्तान जाकर बस गये थे, उनकी जमीन आज भी भारत में है। इस जमीन को शत्रु संपत्ति कहा जाता है। ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई। केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है।

कब और क्यों बना कानून?
शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम 1968 में पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार जो लोग 1947 के बंटवारे या 1962 में चीन तथा 1965 व 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के बाद चीन या पाकिस्तान चले गये थे और वहां की नागरिकता ले ली थी। उनकी सम्पूर्ण चल व अचल संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी। इस अधिनियम के प्रावधानों में शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2016 और शत्रु नागरिक की नई परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। इस संशोधित अध्यादेश को वर्ष 2017 में संसद की मंजूरी मिली थी।

भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म
वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक खत्म हो गया है। ऐसी संपत्तियों को चिन्हित करने व अधिग्रहण करने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने आदेशित किया था। बावजूद इसके ऐसी अनेकों शत्रु संपत्तियां है जो चिन्हित नही है उनपर लोग काबिज है। कई संपत्तियों पर तो भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से विरासत तक दर्ज करा ली है।

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