सिक्किम। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद अप्लसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके कारण हिंदु व अन्य अप्लसंख्यक कानूनी या गैरकानूनी तरीके से दूसरे देशों में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में त्रिपुरा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बांग्लादेश की हिन्दू मां-बेटी ने कथित तौर पर घुसपैठ का प्रयास किया। इस दौरान बीएसएफ (BSF) की ओर से उन्हें रोकने का प्रयास किया गया और फायरिंग की गयी, जिसमें महिला बाल-बाल बची, लेकिन उसकी नाबालिग बेटी की गोली लगने से मौत हो गयी।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बीएसएफ (BSF) ने घटना के 45 घंटे बाद मंगलवार देर रात बांग्लादेशी बच्ची के शव को बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) को सौंप दिया। बच्ची की पहचान 13 वर्षीय स्वर्णा दास के रूप में हुई। जिसकी मौत कथित तौर पर बीएसएफ (BSF) की फायरिंग में हो गई थी। कुलौरा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी बिनय भूषण रॉय ने शव सौंपे जाने की पुष्टि की है। रॉय ने बताया कि जरूरी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद शव बच्ची के शव को उसके परिवार को लौटा दिया गया।
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के सेक्टर कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल मिजानुर रहमान शिकदार ने बताया कि लड़की को बीएसएफ कर्मियों ने उस समय गोली मार दी, जब वह और अन्य लोग रविवार रात को कुलौरा उपजिला से कथित तौर भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि स्थिति से निपटने के लिए बीजीबी और बीएसएफ के बीच फ्लैग मीटिंग बुलाई गई थी। बच्ची की पहचान पश्चिम जूरी संघ के जूरी उपजिला के अंतर्गत कलनीगर गांव निवासी पोरेंद्र दास की बेटी 13 वर्षीय स्वर्णा दास के रूप में हुई है।
पीड़िता के पिता पोरेंद्र ने बताया कि स्वर्णा और उसकी मां, उनके सबसे बड़े बेटे से मिलने के लिए अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रही थीं, जो त्रिपुरा में रहते हैं। इसके लिए उन्हें 2 स्थानीय दलालों की मदद की थी। उन्होंने कहा कि रविवार रात करीब 9 बजे जब वे भारतीय सीमा में पहुंचे तो बीएसएफ कर्मियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं, जिससे स्वर्णा की तुरंत मौत हो गई। स्वर्णा की मां गोली लगने से बाल-बाल बच गईं। इस दुखद घटना बॉर्डर एरिया में सख्ती बढ़ाई गई।