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Thursday, February 6, 2025

धर्म और विकास का संतुलन: महाकुंभ और योगी आदित्यनाथ का दृष्टिकोण

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प्रशांत कटियार ✍️

महाकुंभ, भारतीय संस्कृति और श्रद्धा का एक अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रभावशाली है। कुछ लोग यह तर्क करते हैं कि महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों पर सरकारी धन का व्यय अनुचित है, लेकिन अगर हम इस आयोजन के वास्तविक लाभ को समझें तो यह न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है।महाकुंभ के आयोजन से न केवल तीर्थयात्रियों की भीड़ होती है, बल्कि इससे स्थानीय व्यवसायों को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलता है। आंकड़ों के अनुसार, महाकुंभ IPL जैसे बड़े आयोजनों से 10 गुना अधिक कमाई करने में सक्षम है। यह आयोजन न केवल पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देता है, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित करता है। एक ओर जहां महाकुंभ आस्था और धर्म की सेवा करता है, वहीं दूसरी ओर इससे उत्पन्न होने वाली आर्थिक गतिविधियाँ राज्य और देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाती हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के माध्यम से यह दिखाया है कि धार्मिक आयोजनों को विकास से जोड़कर एक सशक्त राज्य का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने महाकुंभ के दौरान न केवल धार्मिक महत्व को बरकरार रखा है, बल्कि विकास योजनाओं का ऐलान भी किया है जो उस क्षेत्र की सूरत को आने वाले वर्षों में बदलकर रख देगा। प्रयागराज में नया और बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, गंगा पर एक पुल बनाने और वाराणसी, प्रयागराज जैसे प्रमुख धार्मिक स्थानों के साथ-साथ मुरादाबाद में 10 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव, ये सब इस बात के संकेत हैं कि धर्म और विकास को एक साथ जोड़ा जा सकता है।मुख्यमंत्री का यह दृष्टिकोण साफ दर्शाता है कि उनका शासन केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं। प्रयागराज, वाराणसी और आगरा में मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जैसे स्वास्थ्य क्षेत्रों में निवेश के फैसले से यह स्पष्ट है कि उनकी सरकार धर्म और विकास के बीच संतुलन बनाने में सक्षम है।योगी आदित्यनाथ का यह मॉडल न केवल उत्तर प्रदेश के विकास को गति दे रहा है, बल्कि यह भी दिखा रहा है कि धार्मिक आयोजनों को अगर सही तरीके से जोड़ा जाए तो यह राज्य की समृद्धि और प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। धर्म और विकास का यह संयोजन एक नई दिशा दिखा रहा है, जहां आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के विकास को समान महत्व दिया जा रहा है।

 

प्रशांत कटियार (स्टेट हेड)
प्रशांत कटियार (स्टेट हेड)

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