यूथ इंडिया समाचार
फर्रुखाबाद। गंगा और रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से हालात दिन ब दिन गंभीर होते जा रहे हैं। सदर, कायमगंज और अमृतपुर तहसील के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं, कई गांव पूरी तरह जलमग्न हैं और लोग अपने घर छोडक़र छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। सडक़ें डूब जाने से संपर्क व्यवस्था पूरी तरह ठप है और लोग नाव या ट्रैक्टर-ट्रॉली के सहारे सफर कर रहे हैं।राजेपुर ब्लॉक इस समय सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां न सिर्फ गांवों में पानी भरा है बल्कि बीमारियां भी तेजी से फैल रही हैं। खांसी, जुकाम, बुखार और खुजली जैसी समस्याओं से पीडि़त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टरों की मनमानी और लापरवाही के कारण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बदहाल हो चुकी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कंचनपुर सबलपुर में डॉक्टर नेहा गुप्ता की तैनाती है, लेकिन सोमवार को वे ड्यूटी पर नहीं आईं। ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टर अक्सर अनुपस्थित रहती हैं, जिससे बाढ़ पीडि़त मरीजों को इलाज के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।गांधी गांव में पिछले एक महीने से पानी भरा हुआ है और किसानों की धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। राजेपुर तिराहे पर दो फुट तक पानी भरने से दुकानों और घरों में पानी घुस चुका है। लगभग 40 गांव पूरी तरह प्रभावित बताए जा रहे हैं। ग्रामीण सडक़ किनारे अस्थायी झोपडिय़ां डालकर दिन गुजारने को मजबूर हैं।
कायमगंज का तराई क्षेत्र पूरी तरह बाढ़ से कट चुका है। सडक़ें और गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। गंगा का पानी शमशान घाट तक पहुंच गया है, जिससे ग्रामीण मजबूरी में सडक़ किनारे अंतिम संस्कार कर रहे हैं। तेज धार में कई लोग बहते-बहते बचे।अमृतपुर तहसील के हालात भी चिंताजनक हैं। यहां 150 गांव पिछले दो दिनों से अंधेरे में हैं। 33 केवीए लाइन में खराबी आने से बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है। लोग पीने के पानी और जरूरी जरूरतों के लिए परेशान हैं।लगातार पानी भरे रहने से गांवों में संक्रमण और महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। मवेशियों के लिए चारा और इंसानों के लिए राशन दोनों की भारी कमी है। बच्चे दूध और दवाओं के अभाव में बेहाल हैं, जबकि किसान अपनी डूबी फसलों को देखकर मायूस और परेशान हैं।
राहत और बचाव कार्य बेहद सीमित हैं। प्रशासन की ओर से मदद के दावे किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति यह है कि अधिकांश प्रभावित गांवों तक सरकारी सहायता नहीं पहुंच पाई है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने बूते ही हालात से जूझ रहे हैं और सरकारी मदद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।