प्रयागराज: रामपुर के बहुचर्चित डूंगरपुर मामले (Dungarpur case) में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने आज बुधवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता Azam Khan की जमानत अर्जी मंजूर कर करके उन्हें ज़मानत दे दी है। न्यायमूर्ति समीर जैन ने 12 अगस्त को हुई बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज ज़मानत मंजूर की। आज़म खान ने रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा 30 मई, 2024 को सुनाई गई 10 साल की सज़ा को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक क्रिमिनल अपील दायर की थी।
उनके साथ, इसी मामले में 7 साल की सज़ा पाए ठेकेदार बरकत अली ने भी अपनी अपील लंबित रहने तक ज़मानत की माँग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने अब आज़म खान और बरकत अली दोनों को ज़मानत दे दी है और उनकी आपराधिक अपीलों पर संयुक्त रूप से सुनवाई जारी है।
यह मामला अगस्त 2019 का है, जब अबरार नाम के एक व्यक्ति ने रामपुर के गंज थाने में आज़म खान, सेवानिवृत्त सर्किल ऑफिसर आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली उर्फ़ फ़कीर मोहम्मद के खिलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
शिकायत में डूंगरपुर क्षेत्र से संबंधित अनियमितताओं और गंभीर आरोपों का आरोप लगाया गया था, हालाँकि वर्तमान अदालती आदेश में आरोपों का विशिष्ट विवरण नहीं दिया गया है। एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती और कई बार विधायक रहे आज़म खान हाल के वर्षों में कई कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रहे हैं।
यह ताज़ा घटनाक्रम एक अस्थायी राहत के रूप में आया है, क्योंकि अंतिम फैसला हाईकोर्ट में चल रही अपील के नतीजे पर निर्भर है। शिकायतकर्ता अबरार के अनुसार, दिसंबर 2016 में आज़म खान, सेवानिवृत्त सीओ आले हसन खान और बरकत अली ने कथित तौर पर उनके घर में तोड़फोड़ की थी और जान से मारने की धमकी दी थी।
इसके साथ ही, उनके घर को भी ध्वस्त कर दिया गया था। तीन साल बाद 2019 में, अबरार ने थाना गंज में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आज़म खान को 10 साल और बरकत अली ठेकेदार को 7 साल की सजा सुनाई थी। डूंगरपुर बस्ती में रहने वाले लोगों ने कॉलोनी खाली कराने के नाम पर 12 मुकदमे दर्ज कराए थे। रामपुर के गंज थाने में लूटपाट, चोरी, मारपीट समेत कई धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे।