यूथ इंडिया, अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा… हर तरफ राम के अयोध्या आने का उत्सव मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन अद्भुत पलों को चौपाई में कहा। ‘रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता’। उन्होंने रामलला के अयोध्या में स्थापित होने, मंदिर बनाने के पीछे के 500 सालों के संघर्ष को लिखा।
- अब पढ़िए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने लेख में क्या-कुछ कहा…
500 साल बाद आए इस अवसर पर देश भाव विभोर
शताब्दियों की प्रतीक्षा, पीढ़ियों के संघर्ष और पूर्वजों के व्रत को सफल करते हुए सनातन संस्कृति के प्राण रघुनन्दन राघव रामलला, अपनी जन्मभूमि अवधपुरी में नव्य-भव्य-दिव्य मंदिर में भक्तों के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं। 500 वर्षों के बाद आए इस ऐतिहासिक अवसर पर आज पूरा भारत भाव विभोर है।
रविवार सुबह राम मंदिर की सजावट कुछ इस तरह की नजर आई।
पूरी दुनिया की दृष्टि आज मोक्षदायिनी अयोध्याधाम पर हैं। हर मार्ग श्रीराम जन्मभूमि की ओर आ रहा है। हर आंख आनन्द और संतोष के आंसू से भीगी है।
“भारत को इसी दिन की प्रतीक्षा थी”
उन्होंने आगे लिखा- आखिर भारतवर्ष को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। इसी दिन की प्रतीक्षा में दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए धराधाम से साकेतधाम को प्रस्थान कर गई। श्री अयोध्या धाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा भर ही नहीं हो रही, बल्कि जनविश्वास भी दोबारा प्रतिष्ठित हो रहा है। अपने खोए हुए गौरव की दोबारा प्राप्त कर अयोध्या विभूषित हो रही है।
अयोध्या में मंदिर को फूलो से सजाया गया है। सोमवार सुबह यही पर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन होगा।
‘श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का समय परीक्षा काल रहा’
उन्होंने लिखा- श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न केवल सनातन आस्था व विश्वास की परीक्षा का काल रहा, बल्कि पूरे भारत को एकात्मकता के सूत्र में बांधने में भी सफल हुआ। राम जन्मभूमि, संभवतः विश्व में पहला ऐसा अनूठा मामला रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो।
संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पात, विचार-दर्शन, पंथ-उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया। संतों ने आशीर्वाद दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने रूपरेखा तय की। जनता को एकजुट किया। आखिरकार संकल्प सिद्ध हुआ।
योगी अध्योध्या के दौरे पर पहुंचने के बाद सबसे पहले हनुमान गढ़ी में आरती-पूजन करते हैं।
‘धरती का बैकुंठ सदियों तक अभिशप्त रहा’
उन्होंने लिखा – यह कैसी विडंबना थी कि जिस अयोध्या को ‘धरती का बैकुंठ’ कहा गया। वह सदियों तक अभिशप्त रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। जिस देश में ‘रामराज्य’ को शासन और समाज की आदर्श अवधारणा के रूप में स्वीकार किया जाता रहा हो, वहीं राम को अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा। जिस देश में ‘राम नाम’ सबसे बड़ा भरोसा हो, वहां राम की जन्मभूमि के लिए साक्ष्य मांगे गए।
लेकिन राम का जीवन मर्यादित आचरण की शिक्षा देता है। संयम के महत्व का बोध कराता है। यही शिक्षा ग्रहण करके रामभक्तों ने धैर्य नहीं छोड़ा। मर्यादा नहीं लांघी। दिन, महीने, वर्ष, शताब्दियां बीतती गईं, लेकिन हर एक नए सूर्योदय के साथ रामभक्तों का संकल्प और दृढ़ होता गया। सदियों के इंतजार के बाद भारत में हो रहे इस नवविहान को देखकर अयोध्या समेत भारत आनन्दित हो उठा है। भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम- काज के साथी बन रहे हैं।
’22 जनवरी 2024 का दिन मेरे जीवन का सबसे आनंद का अवसर’
उन्होंने आगे लिखा – हमारे व्रत में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनन्दन है। 22 जनवरी 2024 का दिन मेरे निजी जीवन के लिए भी सबसे बड़े आनंद का अवसर है। अनेक स्मृतियां जीवंत हो उठी हैं। यह राम जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प ही था, जिसने मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य सान्निध्य प्राप्त कराया।
भारत के इतिहास में पहली बार पहाड़, वन, द्वीप, सब जगह के रहने वाले एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। यह अपने आप में अद्धितीय है। इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री जी 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे। अयोध्या धाम में लघु भारत के दर्शन होंगे।
इस समारोह के बाद रामभक्त, पर्यटक, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के लिए अयोध्या तैयार है। इसी उद्देश्य के साथ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, चारों दिशाओं से रोड कनेक्टिविटी, हेलीपोर्ट सेवा, होटल तैयार किए गए हैं।
अयोध्या की पंचकोसी, 14 कोसी तथा 84 कोसी परिक्रमा की परिधि में आने वाले सभी धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों के पुनरुद्धार का काम जारी है।
मंदिर के अंदर की सजावट देखते ही बन रही है। छत, मंडप, खंभों पर फूल लगाए गए हैं।
अब अयोध्या में गोलियां नहीं चलेंगी
अब अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेंगी। सरयूजी रक्त रंजित नहीं होंगी। अयोध्या में कर्फ्यू का कहर नहीं होगा। यहां उल्लास होगा। राम नाम संकीर्तन गुंजायमान होगा। अवधपुरी में रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है। ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहि स्वधर्म निरत श्रुति नीति को परिकल्पना साकार हो उठी है।
हमें संतोष है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने की सौगंध ली थी। जो संकल्प हमारे पूर्वजों ने लिया था, उसकी सिद्धि की बधाई। प्रभु श्रीराम की कृपा सभी पर बनी रहे।
श्रीरामः शरणम् मम्। जय-जय श्रीसीताराम।।