साइबर फ्रॉड की कहानियां आपने फिल्मों और वेब सिरीज में खूब देखी होंगी। लेकिन आज हम जिस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, वह किसी फिल्म से भी ज्यादा रोमांचक है। इसके दो सेंट्रल कैरेक्टर्स हैं। |
यूथ इंडिया: साइबर फ्रॉड की कहानियां आपने फिल्मों और वेब सिरीज में खूब देखी होंगी। लेकिन आज हम जिस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, वह किसी फिल्म से भी ज्यादा रोमांचक है। बेंगलुरु में हुए इस फ्रॉड के दो सेंट्रल कैरेक्टर्स हैं। इनमें से एक है 33 साल का एमबीए ग्रेजुएट और दूसरा है 36 साल का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। महज एक बेडरूम के कमरे से इन दोनों ने बुना 854 करोड़ रुपए की ठगी का एक जाल। आइए आपको बताते हैं ठगी की यह पूरी कहानी, जिसके बारे में पढ़कर आप भी एक बार के लिए दंग रह जाएंगे…
26 वर्षीय महिला की शिकायत पर जांच
पिछले महीने बेंगलुरु की साइबर क्राइम पुलिस ने एमबीए ग्रेजुएट, मनोज श्रीनिवास और सॉफ्टवेयर इंजीनियर फणींद्र के को गिरफ्तार किया। इनके साथ चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया, इनमें सेलफोन रखने वाले श्रीनिवास और सोमशेखर भी शामिल थे। यह गिरफ्तारियां हुई थीं 8.5 लाख रुपए की एक चीटिंग मामले में थी, जिसकी शिकायत 26 साल की एक महिला ने की थी। इस महिला को लालच दिया गया था कि वह छोटी-छोटी रकम निवेश के हाई इंट्रेस्ट कमा सकती है। इसके बाद उसके साथ ठगी हो गई। मामले की छानबीन करते हुए पुलिस पहुंची येलाहांका के एक किराए वाले घर में।
खुली रह गईं पुलिस की आंखें
यहां पहुंचने के बाद पुलिस की आंखें खुली की खुली रह गईं। जांच में पुलिस ने पाया कि इस एक कमरे के घर से एक ऐसा ठगी का नेटवर्क चल रहा है, जो पूरे भारत में लोगों को अपने जाल में फंसाया है। इस घर के मालिक थे, वही एमबीए ग्रेजुएट और सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जिनके बारे में हमने आपको शुरू में बताया है। एमबीए ग्रेजुएट मनोज श्रीनिवास और सॉफ्टवेयर इंजीनियर फणींद्र के ने इसी घर में बिना नाम की प्राइवेट एंटरप्राइज की शुरुआत की। इन दोनों ने दो अन्य लोगों को कर्मचारी के तौर पर हायर किया। इन दोनों लोगों को खास ताकीद दी गई कि आठ मोबाइल दिन-रात ऐक्टिव रखेंगे।
इस तरह ललचाते थे
इस गैंग का काम करने का तरीका सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ था। यहां पर अजनबियों को इन्वेस्टमेंट के लिए ललचाया जाता था। उनसे कहा जाता था कि छोटा निवेश करके आप बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। साइबर क्राइम पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई। इसके बाद नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर देखा गया कि बेंगलुरु साइबर क्राइम से कितने बैंक खाते जुड़े हुए थे। इसके बाद पुलिस ने पाया कि पूरे भारत में 5,013 मामले ऐसे थे जहां बैंक खातों के एक ही सेट का उपयोग साइबर अपराधियों द्वारा धन की धोखाधड़ी के लिए किया गया था। कर्नाटक से सामने आए 487 मामलों में से 17 मामले बेंगलुरु से सामने आए हैं।
तेजी से भुनाई गई रकम
जांच में पाया गया है कि 84 संदिग्ध खातों के जरिए 854 करोड़ की रकम को गेमिंग ऐप, यूएसडीटी, ऑनलाइन कैसीनो और पेमेंट गेटवे जैसे गेमिंग ऐप, क्रिप्टोकरेंसी जैसे क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांसफर किया गया था। इस रकम को धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों के जरिए भुनाया जाना था। माना यह भी जा रहा है कि धोखाधड़ी करने वालों का बेस दुबई में है और वो बेंगलुरु में उनके लिए काम करने वालों से कभी मिले नहीं हैं। जांच में यह भी पता चला है कि 854 करोड़ रुपए की यह पिछले दो साल में 84 बैंक खातों में बहुत तेजी से घुमाए गए। जब सितंबर में क्राइम पुलिस ने इन बैंक खातों को सीज किया तो इनमें मात्र 5 करोड़ रुपए बचे थे।