नई दिल्ली। असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद खालिस्तानी कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) अपनी सांसदी जाने का डर सताने लगा है। जिसके लिए उसने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खडूर साहिब लोकसभा सीट से सांसद अमृतपाल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर संसद की 60 दिन वाले नियम का हवाला दिया है। उसने अपनी याचिका में संसद की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की है।
सांसद अमृतपाल सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि जेल में बंद होने की वजह से वह संसद में भाग नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें संसदीय कार्यवाही से अनुपस्थित रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उसने कहा कि लोकसभा सचिवालय की ओर से उसे एक समन भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि उसकी अनुपस्थिति से उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। अमृतपाल का आरोप है कि उसे जानबूझकर संसद में भाग लेने से रोका जा रहा है, ताकि उसकी सीट का प्रतिनिधित्व न हो और उसे खाली घोषित किया जा सके।
‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख अमृतपाल ने कहा कि 60 दिन से अधिक उनकी अनुपस्थिति के कारण सीट खाली घोषित हो सकती है और उसकी सदस्यता चली जाएगी। इससे खडूर साहिब के लगभग 19 लाख मतदाताओं को भी नुकसान होगा। इसके अलावा, उसने एमपीलैड फंड के कार्यान्वयन के संबंध में अधिकारियों और मंत्रियों से मुलाकात करने की अनुमति मांगी है। अमृतपाल ने संसद में भाग लेने और गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए याचिका दायर की है।
बता दें कि सांसद अमृतपाल सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। हाल ही में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल वारिस पंजाब दे नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की है। अमृतपाल पर खालिस्तान आंदोलन को भड़काने के आरोप लगे थे।