समाजवादी पार्टी प्रमुख की भावी रणनीति से उत्साहित गोभक्त
शरद कटियार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा गौशालाओं को मंदिर की तरह विकसित करने की मंशा ने गोवंश प्रेमियों के बीच एक नई उम्मीद जगा दी है। उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश की समस्या और गौशालाओं में प्रशासनिक अनदेखी के बीच अखिलेश यादव का यह विचार न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि गाय के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
गौशालाओं की स्थिति से आहत गोभक्त
प्रदेश में सरकारी गौशालाओं की स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में गोवंश संरक्षण को लेकर बड़े कदम उठाए गए थे, लेकिन बाद में प्रशासनिक लापरवाही के चलते कई गौशालाओं में अव्यवस्था फैल गई। सड़कों पर घूमते गोवंश ,कई स्थानों पर गायों को समुचित चारा, पानी और इलाज न मिलने की शिकायतें आम हो गईं। सड़कों पर घूमते आवारा गोवंश जहां एक ओर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं सड़क दुर्घटनाओं का कारण भी बन रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की गौशालाओं को मंदिर की तरह विकसित करने की योजना ने गोभक्तों में नई उम्मीद जगा दी है।
अखिलेश यादव की रणनीति क्या?
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने यह संकेत दिया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो गौशालाओं को धार्मिक केंद्रों की तरह संवारने का कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत—
गौशालाओं का सौंदर्यीकरण: इन्हें मंदिरों की तर्ज पर सजाया जाएगा।
धार्मिक जुड़ाव: भक्तों को गोसेवा से जोड़ने की पहल होगी।
स्थायी संसाधन: चारा, पानी और चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी।
गोद लेने की योजना: लोग गायों को गोद लेकर उनकी सेवा कर सकेंगे।
धार्मिकता से जोड़ने की रणनीति पर चर्चा
अखिलेश यादव की यह सोच भारतीय संस्कृति और परंपराओं से मेल खाती है। हिंदू धर्म में गाय का पूजन किया जाता है और गौसेवा को पुण्य का कार्य माना जाता है। ऐसे में गौशालाओं को मंदिर का स्वरूप देने से न केवल श्रद्धालुओं की भागीदारी बढ़ेगी , हिन्दू धर्म अनुयाई और गोवंश प्रेमियों के हित में ही नहीं,बल्कि गौशालाओं की व्यवस्था भी सुचारू होगी।
राजनीतिक हलकों में हलचल
अखिलेश यादव के इस विचार को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ मीडिया समूहों ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश की, जिसे समाजवादी पार्टी ने षड्यंत्र करार दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यह मुद्दा आस्था और संस्कृति से जुड़ा है और इसे राजनीतिक चश्मे से देखना अनुचित होगा।ये मुद्दा सामाजिक है,और सभी वर्गों धर्मों के लिए भी चिंतनीय है।
गोभक्तों में उत्साह, सरकार पर सवाल
अखिलेश यादव की इस पहल को लेकर गोभक्तों और समाज के सभी वर्गों में उत्साह है। लोग इसे गोवंश संरक्षण की दिशा में सकारात्मक कदम मान रहे हैं। वहीं, योगी सरकार की मौजूदा गौशाला नीति पर सवाल भी उठने लगे हैं।
क्या यह योजना भविष्य में नया मॉडल बनेगी?
अगर यह योजना लागू होती है तो उत्तर प्रदेश की गौशालाएं एक नया मॉडल बन सकती हैं, जहां गोसेवा केवल सरकारी जिम्मेदारी न होकर जनभागीदारी के जरिए सफल प्रयोग बनेगी। इससे गायों को बेहतर देखभाल मिलेगी और संस्कृति के संरक्षण का भी मार्ग प्रशस्त होगा,साथ ही किसानों को अपने होने वाले नुकसान से भी निजात मिलेगी,और सभी धर्म,वर्ग के जनमानस को आवारा गोवंश से होने वाली दुर्घटनाओं से भी छुटकारा मिलेगा।
अखिलेश यादव की गौशालाओं को मंदिर की तर्ज पर विकसित करने की पहल भारतीय संस्कृति और गौसेवा की परंपरा को पुनर्जीवित करने का कार्य कर सकती है। अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए तो यह गोवंश संरक्षण का सबसे मजबूत मॉडल साबित हो सकता है।