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Wednesday, June 18, 2025

ऑनलाइन समीक्षा में खुला बड़ा घोटाला: कोटेदार के गोदाम से गायब मिला टनभर राशन, मुकदमा दर्ज

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फर्रुखाबाद। जनपद में सरकारी राशन वितरण प्रणाली की पोल उस वक्त खुल गई, जब ऑनलाइन वितरण समीक्षा में गड़बड़ी मिलने पर अधिकारियों ने सिगंतुईया ग्राम पंचायत के कोटेदार आशीष यादव की दुकान व गोदाम पर एसडीएम सदर के निर्देश पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान हजारों किलो खाद्यान्न गायब पाया गया। मामले में कोटेदार के खिलाफ मेरापुर थाने में कालाबाजारी का मुकदमा दर्ज कराया गया है।

राज्य सरकार की ओर से खाद्य आयुक्त ने प्रतिदिन 5 कोटेदारों की दुकानों के स्थलीय निरीक्षण के निर्देश दिए थे। इसी के तहत पूर्ति विभाग की टीम ने ब्लॉक मोहम्मदाबाद अंतर्गत ग्राम पंचायत सिगंतुईया के कोटेदार आशीष यादव के वितरण प्रतिशत की ऑनलाइन समीक्षा की, जिसमें बेहद कम वितरण सामने आया।

इस पर एसडीएम सदर के निर्देश पर नायब तहसीलदार सदर, पूर्ति निरीक्षक नेहा गुप्ता व पूर्ति निरीक्षक अभिषेक मिश्र की टीम ने कोटेदार के दुकान व गोदाम पर छापा मारा।

छापे के दौरान जो तथ्य सामने आए वे चौंकाने वाले थे। गोदाम से करीब 61.90 क्विंटल गेहूं, 63.10 क्विंटल चावल और 30 किलो चीनी गायब मिली। यह मात्रा साफ तौर पर कालाबाजारी की पुष्टि करती है।

जिलाधिकारी के अनुमोदन के बाद मेरापुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, कोटेदार द्वारा राशन वितरण में जानबूझकर लापरवाही बरती गई थी।

खाद्यान्न वितरण व्यवस्था को लेकर विभाग अब कायमगंज, नवाबगंज और शमशाबाद क्षेत्रों में भी कोटेदारों के वितरण आंकड़ों पर निगाह रखे हुए है। कई कोटेदारों का वितरण प्रतिशत बेहद कम पाया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कम वितरण का मुख्य कारण गोदाम में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक न होना है, जिससे संदेह और गहरा होता जा रहा है।

इस खुलासे के बाद स्थानीय ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि गरीबों के लिए आवंटित अनाज की कालाबाजारी मानवता के खिलाफ अपराध है और दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए।

पूर्ति विभाग ने आश्वासन दिया है कि जिले भर में कोटेदारों की दुकानों का औचक निरीक्षण जारी रहेगा और गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

फर्रुखाबाद में उजागर हुआ यह मामला सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमजोरी की ओर इशारा करता है। अगर शासन स्तर पर सख्त निगरानी और जवाबदेही तय न की गई तो ऐसे मामलों से गरीबों का हक लगातार छिनता रहेगा।

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