– दबंगों ने जेसीबी से गिराया था घर,
– डीएम,एसपी के आदेश के बावजूद पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
फर्रुखाबाद। योगी सरकार के सुशासन में न्याय की उम्मीद लगाए बैठे एक दलित होमगार्ड अनिल कुमार जाटव, निवासी गांव नूरपुर जसमई, थाना मऊ दरवाजा, आज भी न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। 17 दिसंबर की रात को उनके घर पर हुए हमले और दबंगों द्वारा जेसीबी से मकान गिराए जाने के बावजूद, पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
पीड़ित होमगार्ड अनिल कुमार जाटव ने बताया कि घटना के समय वे जिलाधिकारी फर्रुखाबाद के सरकारी आवास पर ड्यूटी पर थे। उसी दौरान, सैयद ताहिर हुसैन मतवाली पुत्र साबिर हुसैन, सोनू यादव पुत्र नंदराम, उदय प्रताप, अंशु चौहान पुत्रगण हरिकिशन, और उनके साथ 5-6 अज्ञात लोग रात करीब 12:15 बजे उनके घर पहुंचे।
इन दबंगों ने जातिसूचक गालियां देते हुए डंडे, लाठियों और तमंचों से हमला कर दिया। मात्र 10 मिनट में उन्होंने जेसीबी से पूरा मकान गिरा दिया। घर में बेटी की शादी के लिए रखे एक लाख रुपये भी लूट लिए गए।
घटना के तुरंत बाद, पीड़ित ने डायल 112 पर सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन थाना मऊ दरवाजा पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
19 दिसंबर को जिलाधिकारी डॉक्टर बी.के. सिंह और पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी को शिकायत दी गई। एसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्राधिकारी नगर को 7 दिन में जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सीओ नगर ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी की।
इसके बावजूद, थाना पुलिस ने अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। पीड़ित ने कहा, “मैं योगी सरकार के सुशासन में न्याय की उम्मीद लगाए बैठा हूं, लेकिन खाकी भी न्याय दिलाने में असमर्थ नजर आ रही है। अब मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में अपनी फरियाद लेकर जाऊंगा।”
जहां भाजपा सरकार “सबका साथ, सबका विकास” का दावा करती है, वहीं इस घटना ने इन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक होमगार्ड, जो कानून और सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा है, उसे ही न्याय नहीं मिल रहा है।
दलित होमगार्ड ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उच्च प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो और उन्हें उनके परिवार के लिए न्याय दिलाया जाए।उधर थाना पुलिस ने कहा कि मामले में कार्यवाही करेंगे।
यह घटना केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता और पुलिस की निष्क्रियता का स्पष्ट उदाहरण है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सरकार के सुशासन की छवि को धूमिल कर सकती है।
अनिल कुमार जाटव के घर पर हुए इस हमले और पुलिस की निष्क्रियता ने दलित समुदाय के साथ हो रहे अन्याय को उजागर किया है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फर्रुखाबाद प्रशासन पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।