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Thursday, November 13, 2025

हिंदी साहित्य भारती की गोष्ठी: मात्र भाषा ज्ञानार्जन का सबसे बड़ा साधन

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फर्रुखाबाद: हिन्दी साहित्य भारती (Hindi Sahitya Bharti) जनपद शाखा की गोष्ठी समाज सेवी चिकित्सक (seminar social worker doctor) डा. रजनी सरीन के लोहाई रोड स्थित निवास पर हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डी एम की धर्मपत्नी श्रीमती वंदना द्विवेदी (उपाध्यक्ष- हिन्दी साहित्य भारती) ने हिन्दी साहित्य के सम्मृद्धि इतिहास एवं प्रचार-प्रसार के साथ उन्नयन हेतु प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा हिन्दी भारत की आत्मा है। इसके बिना उन्नति की अवधारणा बेमानी है। उन्होंने कहा कि निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नतिको मूल।

बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल। राष्ट्रीय कवि डा० शिव ओम अंबर जी ने कहा, कि मातृभाषा ही सभी प्रकार की उन्नति का मुख्य आधार है। डा. रजनी सरीन ने कहा, कि “शहिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्तों हमारा मातृभाषा ज्ञानोपार्जन का सबसे सरल एवं सशक्त माध्यम है।सभा का संचालन जिला ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष अंजुम दुबे एडवोकेट ने किया।

इस अवसर पर,आलोक रायजादा, डा० संदीप चतुर्वेदी, अवनीन्द्र कुमार, शिवम दीक्षित, शिवांश गुप्ता, श्रीमती गुंजा जैन प्रीति रायजादा, आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इसके अलावा शशिकिरन सिंह, कृष्ण कांत अक्षर भी मौजूद रहे। इस मौके पर मौजूद सभी साहित्यकारों को अभिव्यंजना की पत्रिका अक्षरा लोक भेंट की गयी।

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