श्रीमद्‌भागवत कथा: संप्रदाय अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन जीव मात्र का उद्देश परमात्मा की प्राप्ति

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फर्रुखाबाद। श्रीमद्‌भागवत महापुराण परमात्मा भगवान कृष्णचन्द्र का शब्दमय विग्रह है। श्रीमद्‌भागवत महापुराण तथा भगवान कृष्ण में कोई अन्तर नहीं है। दोनों ही ज्ञान के प्रकाशक हैं। भगवान् से भी महत्वपूर्ण है, भगवान् की कथा है यह कथा जीव कसे भगवान् का परिचय कराकर जीव के हृदय में भगवत् प्रेम एवं भक्ति को उत्पन्न करके भगवान् से मिलाने का कार्य करती है। लोको रोड पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य राम मूर्ति मिश्रा ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि अगर कथा हो तो भगवान्‌ को कौन जानेगा तथा कौन पहिचान सकेगा। श्री हनु‌मान जी महाराज कथा के लोभ से ही भगवान् श्री राम के साथ उनके धाम न जाकर पृथ्वी पर रह गये। श्रीमद्भागवत कथा किसी सम्प्रदाय विशेष के लिए नहीं है अपितु प्रत्येक जीव को परम सत्य तक पहुंचाने वाली कथा है। सम्प्रदाय भिन्न-भिन्न हो सकते हैं जीवमात्र का लक्ष्य है-परम सत्य को प्राप्त कर लेना है ।श्रीमद् भागवत कथा देश-कारल एवं व्यक्तित्व की दूरी को मिटा कर जीव के हृदय में परमात्मा को प्रकट करके परमात्मा से एकाकार कर देती है। आचार्य मिश्रा ने कहा कि भगवान की यह दित्य कथा गंगा की धारा के समान है, जिसमें कि बड़े-बड़े पापात्मा भी अपने हृदय में ज्ञान, वैराग्य एवं भक्ति की जागृति करके अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं। बड़ी तादाद में लोग कथा श्रवण के लिए मौजूद है।

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