यूथ इंडिया संवाददाता
अमृतपुर फर्रुखाबाद। प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा निर्देश दिए गए थे कि अवैध झोलाछाप डॉक्टर बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे मेडिकलों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए लेकिन ऐसा जिले में दिखाई नहीं दे रहा है। अभियान को धार देने के लिए डिप्टी सीएमओ ने झोलाछाप डॉक्टरों पर लगातार कार्यवाही कर क्लीनिक सील कर दिए लेकिन झोलाछाप ट्रैक्टरों के द्वारा नई तरकीब निकाल ली गई। तथा मेडिकल संचालक एक लाइसेंस से कई मेडिकल संचालित कर रहे हैं।
कस्बा राजपुर, अमृतपुर राजेपुर आदि में बिना लाइसेंस खुलेआम मेडिकल संचालक दबा बिक्री कर रहे हैं।कस्बा राजपुर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें सील की थी। लेकिन डॉक्टर सील दुकान के आगे मरीज को लिटाकर दवाइयां दे रहे हैं। मेडिकल संचालकों की भी बल्ले बल्ले है क्योंकि यहां ग्रामीण जनता को एक्सपायरी दवा देकर अच्छा खासा मुनाफा उठा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को हर मेडिकल संचालकों के यहां जाकर उनकी दुकान के अंदर एक्सपायरी दवा चेक की जाए तो लगभग मेडिकल के अंदर जितनी दवा होगी उसमें से 50त्न एक्सपायरी दवा होने की संभावना ग्रामीण जनता ने जताई है। और एक लाइसेंस से कई स्थानों पर मेडिकल चल रहे हैं इसकी भी जांच की जाए। झोलाछाप डॉक्टर बड़े-बड़े राजनेताओं व दूसरे की डिग्रियां लगाकर अपनी बंद व सील दुकान को खुलना चाहते हैं।
अब देखते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर यहां सील की गई झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान करवाई होती है या यह आदेश भी हवा हवाई होगा। या फिर झोलाछाप डॉक्टरों से मोटी रकम लेकर उनके ताले खोल दिए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी कार्रवाई से लेकर पूरे जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों से लेकर बड़े अस्पताल संचालकों के अंदर हड़कंप मचा हुआ है। वही छोटे-मोटे झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा भ्रूण हत्याएं हत्याएं करने जैसी शिकायतें उत्तर प्रदेश सरकार को मिल रही थी।
मेडिकल संचालक भी ग्रामीण जनता की जेबों पर डाका डाल रहे हैं लोकल दवाई के पूरे रेट लेकर वह अतिरिक्त रेटों में दवा लगाकर बेच रहे हैं। वही अमृतपुर में चल रही कई लैब जनता का खून चूस रही है राजपुर में भी कई लैब अमानक रूप से संचालित हो रही है। गनुयापुर व गलारपुर आज में भी लैब चल रही हैं। सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि जो कस्बा अमृतपुर में लैब चल रही है। जिसमें किसी स्वास्थ्य कर्मचारी का ही हाथ है शुभ अधिकारियों के आने से पहले ही लैब संचालक को सूचना दे देता है। जिससे कारवाई होने से लैब संचालक बच जाता है।