गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का महापर्व है, जो आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गुरु की विशेष पूजा और सम्मान किया जाता है। शास्त्रों में कई महान गुरुओं का उल्लेख है जिन्होंने अपने शिष्यों को अमूल्य ज्ञान और शिक्षा दी। यहाँ हम शास्त्रों में वर्णित नौ प्रमुख गुरुओं और उनके विशेषताओं के बारे में जानेंगे:
1. वशिष्ठ मुनि
वशिष्ठ मुनि ब्रह्म ऋषि थे और श्रीराम के कुलगुरु थे। उन्होंने राजा दशरथ और उनके पुत्रों श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न को शिक्षा दी। वशिष्ठ और विश्वामित्र के बीच विवाद की कथा प्रसिद्ध है, जिसमें अंततः वशिष्ठ ने विश्वामित्र को ब्रह्म ऋषि का पद प्रदान किया।
2. महर्षि वेद व्यास
महर्षि वेद व्यास का जन्म दिन गुरु पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वेदों का संपादन करने के कारण उन्हें वेद व्यास कहा जाता है। उन्होंने महाभारत, श्रीमद् भागवत और अठारह पुराणों की रचना की। वेद व्यास के पुत्र शुकदेव ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी।
3. देव गुरु बृहस्पति
बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और नौ ग्रहों में से एक हैं। उन्होंने अपनी सलाह से देवताओं को दानवों से बचाया और लक्ष्मी जी को रक्षाबंधन की विधि सुझाई जिससे भगवान विष्णु को वापस स्वर्ग भेजा गया।
4. शुक्राचार्य
शुक्राचार्य असुरों के गुरु हैं और उन्होंने महादेव की प्रसन्नता से मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की। इस विद्या से वे मृत असुरों को पुनर्जीवित कर सकते थे। शुक्राचार्य ने नीति शास्त्र की रचना की जिसमें सुख-शांति और सफलता के सिद्धांत बताए गए हैं।
5. परशुराम
परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें चिरंजीवी माना जाता है। उन्होंने त्रेतायुग और द्वापरयुग में विभिन्न समयों पर शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया। महाभारत में उन्होंने द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, और कर्ण को शिक्षा दी थी।
6. सूर्य
सूर्य देव हनुमान जी के गुरु थे। सूर्य देव ने हनुमान जी को चलते-चलते सभी वेदों का ज्ञान दिया। महाभारत काल में कर्ण सूर्य के पुत्र थे।
7. ऋषि सांदीपनि
ऋषि सांदीपनि ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण और बलराम को शिक्षा दी। उन्होंने अपने आश्रम में 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। श्रीकृष्ण की मित्रता सुदामा से भी सांदीपनि के आश्रम में ही हुई थी।
8. द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य महाभारत काल में पांडवों और कौरवों के गुरु थे। उनका विवाह कृपाचार्य की बहन कृपी से हुआ था और उनके पुत्र का नाम अश्वत्थामा था। महाभारत युद्ध में उनका वध धृष्टद्युम्न ने किया था।
9. नारद मुनि
देवर्षि नारद भक्त प्रहलाद और ध्रुव के गुरु थे। उनकी सलाह से प्रहलाद और ध्रुव को भगवान की कृपा प्राप्त हुई। देवी पार्वती को शिव जी पति के रूप में प्राप्त करने के लिए नारद मुनि ने तप करने की सलाह दी थी।
गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को रेखांकित करता है और हमें अपने गुरु के प्रति आदर और सम्मान व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।