यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन दिन भक्तों ने माता दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप स्वरूप, मां कुष्मांडा का विधिपूर्वक पूजन किया। भक्तों ने व्रत रखकर, सुबह अग्रि पूजा और अनुष्ठान के चौथे चरण की अग्यारी जलाकर मां की आराधना की। परंपरा के अनुसार, नवदुर्गा के इस चौथे दिन दिन मां कुष्मांडा की विशेष पूजा का विधान है, और इसे पूरे श्रद्धा-भाव से मनाया गया।
मां कुष्मांडा को नवरात्रि के चौथे दिन पूजा जाता है। इस दिन मां को विशेष रूप से शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे मान्यता है कि भक्तों को दीर्घायु और अपार शक्तियों का आशीर्वाद मिलता है। इनकी पूजा से व्यक्ति के व्यक्तित्व में संयम, सदाचार और वैराग्य का विकास होता है। मां कुष्मांडा की वंदना से भक्तों को अद्भुत शांति का अनुभव होता है, जो परम सूक्ष्म ध्वनि के रूप में उनके मन को शीतलता प्रदान करती है। उनके स्वर्णिम वर्ण और आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए तत्पर रहने के कारण, मां की आराधना भक्तों को अपूर्व तेज और ऐश्वर्य का अनुभव कराती है।
फर्रुखाबाद के प्रमुख देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। गुरुगांव देवी मंदिर, भरतपुर देवी मंदिर, गमा देवी मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, महाकाल मंदिर, और कालीबाड़ी मंदिर समेत अन्य सभी छोटे-बड़े मंदिरों में भक्तगण दिनभर पूजा-अर्चना में व्यस्त रहे। सुबह और शाम के समय देवी के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े, जो नवरात्रि की आस्था और उल्लास को प्रदर्शित करता है।