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Tuesday, October 7, 2025

माफिया अनुपम दुबे के संरक्षण में नॉन-प्रैक्टिसनर वकील का आतंक: वकालत की आड़ में सजातीय भी जमकर किये बर्बाद

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– अवधेश मिश्रा ने पत्रकार, समाजसेवी और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाकर किया प्रताड़ित; पुलिस, पत्रकार और वकीलों तक को नहीं छोड़ा

फर्रूखाबाद: जनपद में माफिया अनुपम दुबे (mafia Anupam Dubey) के संरक्षण में नॉन-प्रैक्टिसनर वकील (Non-practicing lawyer) अवधेश मिश्रा ने अपने मोहल्ले के सजाजीय पत्रकार और रिश्तेदारों का भी डटकर उत्पीड़न किया, कई तो झूठे मुकदमे के गम में ही घुल-घुल कर भगवान को ही प्यार हो गए भोलेपुर के चर्चित समाजसेवी रहे विनय दीक्षित तो अपने जीवन काल में संघर्ष ही करते रहे।

जानकारी के अनुसार, अवधेश मिश्रा ने अपने ही मोहल्ले भोलेपुर निवासी के पत्रकार संदीप तिवारी को झूठे मुकदमों में फंसा जेल भेजनें की कसर नहीं छोड़ी वहीं यहीं के प्रख्यात डॉ. आर.बी. अग्निहोत्री को भी झूठे मुकदमे में फंसा कर उत्पीड़न करने का खूब प्रयास किया। इसके अलावा, अपने सगे रिश्तेदार और पूर्व प्रधानाचार्य प्रभात दीक्षित तथा उनके बेटे राहुल दीक्षित उर्फ हनी पर भी गंभीर आरोप लगाकर झूठे मुकदमे लिखवाए गए। सूरज अल्ट्रासाउंड के मालिक और जाने-माने समाजसेवी डॉक्टर राजीव पाठक, की भी खूब झूठी शिकायतें कराई, जबकि वह भी सगे रिश्तेदार थे, डॉ कि द्विवेदी को भी अपने गुर्गो से को बदनाम कराया। खबर तो यहां तक है कि अपनी पत्नी से अपने ही सेज पिता के खिलाफ भी थाने में प्रार्थना पत्र भिजवा दिया था जबकि उन्होंने घोर गरीबी में तांगा चला कर अवधेश को पढ़ाया लिखाया था।

पुलिस विभाग के अधिकारी भी उसकी जालसाजी का शिकार बने। जनपद मे थानाध्यक्ष रहे कुलदीप दीक्षित, आर.के. शर्मा, एस.ओ.जी. प्रभारी जे.पी. शर्मा और वरिष्ठ वकील राजीव बाजपेई के खिलाफ भी मिश्रा ने झूठे मुकदमों का सहारा लिया, और उनका दिल खोलकर उत्पीड़न ही नहीं किया बल्कि उन्हें बरसों मानसिक पीड़ा का शिकार बनाया।

स्थानीय शिक्षा और समाज सेवा से जुड़े लोगों को भी नहीं छोड़ा गया ब्राह्मण समाज के नगर के अति सम्मानित व्यक्ति और रामानंद बालिका विद्यालय सहित डेढ़ दर्जन शिक्षण संस्थाओं के संचालक प्रबंधक विनीत अग्निहोत्री, कनक गेस्ट हाउस के मालिक विमल दुबे रीटू और उनके भाई विवेक दुबे तथा समाजसेवी रहे विनय दीक्षित पर भी मिश्रा ने उत्पीड़न का आरोपित खेल खेला।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि मिश्रा का यह खेल माफिया अनुपम दुबे के संरक्षण में चलता रहा है। वकालत की आड़ लेकर उन्होंने न केवल अपनी व्यक्तिगत रंजिशें पूरी कीं बल्कि अपने ही समाज के लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा को ध्वस्त किया गया। अब सवाल यह है कि प्रशासन कब ऐसे नॉन-प्रैक्टिसनर वकील और माफिया गठजोड़ पर कार्रवाई करेगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा।

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