नवदुर्गा: मंदिरों व घरों में देवी ब्रह्मचारिणी का हुआ भाव मय पूजन, देवी गीतों के गूंज

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फर्रुखाबाद। शारदीय नकात्र के दूसरे दिन नगर के दैवी मंदिरों में मां दुर्गा की दूसरी शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन किया गया।
नगर के मुख्य मंदिर माँ शीतला देवी, गुड़गांव देवी, मठिया देवी, वैष्णो देवी, महाकाल मंदिर सहित जिलेभर के देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने बड़े उल्लास के साथ माँ की पूछ आराधना की।भोर से ही मंदिरों की साफ-सफाई की गयी। मंदिरों के सामने नारियल, फूल, माला की दुकानें सज हुई हैं। शारदीय नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है और हर कोई अपने तरीके से मां को खुश करने में लगा है।घरों में पूजन-अर्चन का सिलसिला सुबह से ही प्रारंभ हो गया। इसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया व कई जगह देवी मां की मूर्ति स्थापित की। शाम को नजारा देखने लायक था। हर और भक्ति संगीत बज रहे थे। माँ का दरबार सजा हुआ था। लोगों ने पूजा करने के साथ ही सुखी जीवन के लिए मां से मन्नतें मागीं। इसके साथ ही महिला व्रतियों ने भजन कीर्तन कर मां के विविध रूपों का बखान कर कहा कि मां की पूजा से आधिक शांति और सकून मिलता है। मां के ध्यान से भक्तों के सारे कष्ट संकट कट जाते हैं। इसके बाद महिलाओं ने ढोलक की थाप पर मां के भजनों की मधुर ध्वनि के साथ पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। व
बताते चलें कि शक्ति की उपासना का पावन पर्व शारदीय नवरात्रि में मां की उपासना सभी प्राणी को व अपने परिवार को भी त्रिविध तापों दैहिक, दैविक और भौतिक से मुक्ति दिलाती है। संसार में सचसे सरल उपासना या तो माता शक्ति की है या भगवान शिव की है। मां कभी नाराज नहीं होती और भोलेनाथ अपने भक्तों की गलतियों पर ध्यान नहीं देते। पांच ज्ञान इंद्रियां, पांच कर्म इन्द्रियां और एक घन इन ग्यारह की जी संचालित करती है यही परम् शक्ति मां है जो जीवात्मा, परमात्मा, भूताकार, चित्ताकाश और
चिदाकाश के में सर्वव्यापी है। ‘भवानी शंकरी वनचे श्रद्धा विश्वास रुपिणी, पाभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धः थमीस्वरम’ के भाव के साथ मां की अद्धाभाव से आराधना की जाए तो चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पण्डित राम किशोर दुबे फलाहारी ने बताया कि हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बड़ा महत्व है। नवरात्रि में दिन के अनुष्ठान के बाद मां दुर्गा के आर्शीवाद से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है।

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