मोदी,पुतिन,शी, की नजदीकियों से अमेरिका परेशान, ट्रंप ने भारत संग फिर शुरू की व्यापार वार्ता

0
61

नई दिल्ली। चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन ने न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति में हलचल मचा दी। सम्मेलन के दौरान आई एक तस्वीर ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में खलबली पैदा कर दी। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ खड़े नजर आए। तीनों नेताओं की मुस्कान और सहज बातचीत ने यह संदेश दिया कि भारत, रूस और चीन के बीच नई कूटनीतिक समझ विकसित हो रही है। यही तस्वीर अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण बन गई।

दरअसल, अमेरिका लंबे समय से चाहता रहा है कि भारत उसकी नीतियों के साथ चले। लेकिन रूस से कच्चे तेल की खरीद पर भारत के सख्त रुख ने वॉशिंगटन को नाराज कर दिया। इसी वजह से ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगा दिया था। इसके बाद ट्रंप और उनके आर्थिक सलाहकार पीटर नवारो भारत के खिलाफ तीखे बयान देने लगे। भारत ने जवाब में स्पष्ट कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे दबाव कहीं से भी क्यों न आए।

इसी बीच, बदलते समीकरणों और बढ़ते दबाव को देखते हुए ट्रंप ने अब सुलह का रास्ता चुना। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत फिर से शुरू होगी। आने वाले दिनों में मैं अपने अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से सीधे संवाद करूंगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी वार्ता दोनों देशों के बीच साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करेगी। हमारी टीमें जल्द से जल्द इस चर्चा को आगे बढ़ाने में जुटी हैं।हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का असंतोष कई मौकों पर झलक चुका है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि “भारत और रूस अब चीन की कूटनीति के और करीब आ रहे हैं और हमने शायद उन्हें खो दिया है।इस बयान ने अमेरिकी राजनीति में नई बहस को जन्म दिया। अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि भारत को रूस से अलग करने के बजाय दबाव डालना ट्रंप प्रशासन की बड़ी गलती है।शिकागो विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ जॉन मियर्सहाइमर ने भी ट्रंप की नीति को भारी भूल करार दिया। उन्होंने अपने पॉडकास्ट में कहा भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाना न केवल अप्रभावी है, बल्कि यह भारत-अमेरिका के शानदार संबंधों को जहरीला बनाने वाला कदम है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह नीति अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here