मां बोली- पहली शिकायत पर होती कार्रवाई तो दोबारा न होती यह घटना, थाने में एफआईआर की जगह मिली सुलह की सलाह
बाराबंकी: कोठी थाने की पुलिस (Kothi police) इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में है। खासतौर पर महिला उत्पीड़न के मामलों में लापरवाही और दबंगों को संरक्षण देने के आरोप पुलिस की छवि पर दाग छोड़ रहे हैं। ताजा मामला एक नाबालिग किशोरी से छेड़छाड़ और मारपीट का है, जिसमें पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई से पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटक रहा है।
घटना 20 जुलाई की शाम करीब सात बजे की है। थाना कोठी क्षेत्र के एक गांव की 17 वर्षीय किशोरी पास के मंदिर में पूजा करने गई थी। आरोप है कि गांव के दबंग युवक अखिलेश द्विवेदी ने वहां पहुंचकर किशोरी से बदसलूकी शुरू कर दी। जब किशोरी किसी तरह खुद को बचाकर घर पहुंची तो आरोपी युवक दीवार फांदकर घर में घुस गया और उसके साथ जोर-जबरदस्ती करने का प्रयास किया। विरोध करने पर आरोपी ने किशोरी के साथ मारपीट की। किशोरी जान बचाकर छत पर पहुंची और चीख-पुकार मचाई। शोर सुनकर आस-पड़ोस के लोग दौड़े तो युवक मौके से फरार हो गया। जाते-जाते धमकी दे गया कि अगर शिकायत की तो अंजाम भुगतना होगा।
पहले भी की थी बदसलूकी, पुलिस रही उदासीन
किशोरी की मां का कहना है कि इसी युवक ने 8 जुलाई को भी घर में घुसकर किशोरी से बदसलूकी की थी, जब वह स्नान कर रही थी। तब 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मां ने सवाल उठाया कि अगर उस वक्त पुलिस ने सख्त कदम उठाया होता तो यह घटना नहीं होती।
एफआईआर की बजाय मिली सलाह- सुलह कर लो
घटना के अगले दिन पीड़िता मां के साथ कोठी थाने पहुंची और तहरीर दी। लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने की बजाय जांच का भरोसा देकर लौटा दिया। किसी पुलिसकर्मी ने मौके पर जाकर जांच भी नहीं की। बाद में पीड़िता मां के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची, जहां महिला प्रकोष्ठ में शिकायती पत्र दिया गया। इसके बाद ही कोठी पुलिस हरकत में आई और बयान दर्ज किए। पीड़िता की मां का आरोप है कि थाना प्रभारी जेपी सिंह ने उन्हें मुकदमा दर्ज करने के बजाय समझौते की सलाह दी। कहा गया, मामला लड़की का है, कोर्ट-कचहरी का झंझट रहेगा, शादी में दिक्कत आएगी, सुलह कर लो।
थाना प्रभारी बोले- जांच चल रही है
थाना प्रभारी जेपी सिंह का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। उनका कहना है कि यह मामला जमीनी विवाद से भी जुड़ा हो सकता है। जांच में यदि आरोप सही पाए गए तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।


