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Tuesday, October 28, 2025

दोस्त दोस्त न रहा … कंबोडिया और थाईलैंड के बीच तनाव अब खुली जंग

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नई दिल्ली: कंबोडिया (Cambodia) और थाईलैंड (Thailand) के बीच तनाव अब खुली जंग में बदल चुका है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद ने अब रक्तरंजित रूप ले लिया है। कभी मित्र रहे ये पड़ोसी अब एक-दूसरे के खिलाफ घातक हथियारों का प्रयोग कर रहे हैं। थाईलैंड जहां लड़ाकू विमानों, तोपों और ड्रोन हमलों के जरिए कंबोडिया पर आक्रमण कर रहा है, वहीं कंबोडिया ने रूसी तकनीक से लैस BM-21 और RM-70 जैसे रॉकेट सिस्टम का प्रयोग कर थाईलैंड को गंभीर क्षति पहुंचाई है।

कंबोडिया ने अपनी सीमा पर बारूदी सुरंगों का ऐसा जाल बिछा दिया है जिससे थाईलैंड की सेना जमीनी स्तर पर आगे नहीं बढ़ पा रही है। थाई सेना हवाई हमलों तक सीमित रह गई है। हालांकि थाईलैंड की वायुसेना ने अब जवाबी कार्रवाई में ड्रोन हमलों का सहारा लिया है और दावा किया है कि उसने कंबोडिया के हथियार डिपो और अन्य सैन्य ठिकानों को नष्ट किया है।

इस संघर्ष का केंद्र 11वीं सदी का ऐतिहासिक प्रीह विहियर मंदिर बना हुआ है, जो कंबोडिया के प्रीह विहियर प्रांत और थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत की सीमा पर स्थित है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना था, लेकिन इसके आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अब भी विवाद बना हुआ है। इसी क्षेत्र में बारूदी सुरंग में हुए विस्फोट में थाईलैंड के 23 सैनिक घायल हो गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

जंग की भयावहता इस हद तक पहुंच गई है कि थाईलैंड ने सीमा से लगे आठ जिलों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है और करीब 1.3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। कई सीमावर्ती इलाकों को खाली करा लिया गया है, वहीं सीमा पर दिन-रात गोलाबारी की आवाजें गूंज रही हैं। दोनों देशों की सेनाएं अब आमने-सामने हैं। थाई सैनिक कंबोडिया की सीमा में 300 मीटर तक घुस चुके हैं और विवादित फु मकुआ की चोटी पर नियंत्रण का दावा कर रहे हैं। दूसरी ओर, कंबोडिया लगातार हमलों की गति बढ़ा रहा है।

इस समय जब दुनिया पहले ही रूस-यूक्रेन, इज़रायल-गाज़ा, और भारत-पाकिस्तान जैसे संघर्षों से जूझ रही है, दक्षिण-पूर्व एशिया में यह नया युद्ध मोर्चा चिंता का विषय बन गया है। ASEAN और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अभी तक कोई निर्णायक कूटनीतिक पहल देखने को नहीं मिली है।

इस संघर्ष का अंत कब और कैसे होगा, यह कहना फिलहाल मुश्किल है। थाईलैंड ने स्पष्ट कर दिया है कि वह संघर्षविराम की किसी भी संभावना पर विचार नहीं कर रहा। कंबोडिया की आक्रामक रणनीति और थाईलैंड की सैन्य ताकत के बीच टकराव अब क्षेत्रीय शांति के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा है।

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