कमालगंज (फर्रुखाबाद)। बीते आठ वर्षों से बदहाल पड़ी जहानगंज-कमालगंज मार्ग की सड़क को लेकर अब तक शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि आंख मूंदे बैठे थे। बारिश में कीचड़, गड्ढों में फंसी गाड़ियां, गिरते बुज़ुर्ग और स्कूल जाते बच्चों की फिसलन – यह सड़क एक दुखद दास्तान बन चुकी थी। हालात तब बदले जब भाजपा जिला अध्यक्ष फतेहचंद वर्मा ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी को पत्र भेजा। इसके बाद पीडब्ल्यूडी की नींद टूटी और आनन-फानन में मरम्मत कार्य शुरू हुआ।
लेकिन राहत की ये शुरुआत अब सवालों के घेरे में है – क्योंकि जो मरम्मत की जा रही है, वो गुणवत्ता से नहीं, लीपापोती से भरी पड़ी है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि मरम्मत के नाम पर सिर्फ गड्ढों में मिट्टी और बजरी डाल दी गई है, वो भी बिना किसी सड़क निर्माण मानक का पालन किए। बरसात में यह मरम्मत कुछ ही दिनों में बह जाएगी।
राज राजपूत, निवासी कुंअरापुर कहते हैं –
“ये सिर्फ आंखों में धूल झोंकने जैसा है। बरसात में सब फिर उखड़ जाएगा। ये कोई मरम्मत नहीं, दिखावा है।”
निशांत कटियार, निवासी उस्मानगंज कहते हैं –
“मिट्टी और बजरी से कोई सड़क बनती है? जैसे ही दो बारिश होंगी, फिर से वही गड्ढे। ये लीपापोती नहीं तो क्या है?”
पीडब्ल्यूडी के अफसरों का कहना है कि जब तक चौड़ीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक सिर्फ अस्थाई मरम्मत ही संभव है। लेकिन सवाल ये है – अगर वर्षों से प्रस्ताव लंबित है, तो क्या जनता तब तक इसी तरह गड्ढों में चलती रहे?
भोजपुर विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ने भी इस सड़क को लेकर कई बार पत्राचार किया, मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः वो थक-हार कर चुप बैठ गए।
अब जब भाजपा जिलाध्यक्ष फतेहचंद वर्मा ने मोर्चा खोला, तो मरम्मत शुरू जरूर हुई, मगर उसकी गुणवत्ता पर भ्रष्टाचार हावी होता दिख रहा है।
जनता के सवाल, सत्ताधीशों के लिए चेतावनी
जब आठ साल तक सड़क नहीं बनी, तो अचानक लीपा-पोती क्यों?
क्या यह मरम्मत बरसात झेल पाएगी?
क्या जनता को फिर से 2027 में चुनाव से पहले ही गड्ढा-मुक्ति अभियान का इंतजार करना होगा?
जहानगंज-कमालगंज मार्ग केवल एक सड़क नहीं, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्ट कार्यप्रणाली और राजनीतिक अवसरवादिता की तस्वीर बन चुकी है।
अब जनता सिर्फ गड्ढे नहीं, जवाब मांग रही है।


