दिल्ली: साल 2020 में जब कोरोना अपने चरम पर था तब तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) मरकज मामले में 70 भारतीयों पर दर्ज सभी 16 एफआईआर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने रद कर दी है। कोरोना काल में निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुए कार्यक्रम को संक्रमण फैलाने का कारण बताया गया था। इस कार्यक्रम में लगभग 190 विदेशी नागरिक, 70 भारतीय मुसलमान शामिल हुए थे, इस कारण इन सभी पर एफआईआर दर्ज हुई थीं। अब कोर्ट ने माना कि दर्ज एफआईआर में कोई ठोस आधार नहीं था।
पांच सालों बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान 70 भारतीयों पर दर्ज 16 FIR को खारिज कर दिया है। जोर देते हुए कहा कि मौजूदा तथ्यों को देखते हुए इन मामलों को और ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ महामारी रोग अधिनियम-1897 की धारा-तीन व आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा-51 के तहत आरोपितों के विरुद्ध कोई अपराध नहीं बनता है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कोरोना काल के दौरान उपरोक्त धाराओं के तहत देश भर के विभिन्न न्यायालयों में जिन आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ या आरोप पत्र दाखिल किए गए उन सभी अभियुक्तों को बरी किया जा चुका है। इन आरोपपत्रों को जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
आपको बता दें कि बीते पांच साल पहले 2020 में निज़ामुद्दीन में बने मरकज में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम में कई लोग शामिल हुए थे। वहां भी 70 भारतीयों ने करीब 190 विदेशी नागरिकों को अपने यहां ठहराया था। इस कारण जबरदस्त आक्रोश हुआ था कि सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में इतने सारे लोग एक जगह इकट्ठे हुए थे। इस कारण दिल्ली पुलिस ने भी तब आईपीसी की धारा,महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी नागरिक अधिनियम की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। यहां तक दावा हुआ था कि लॉकडाउन के नियमों को नहीं माना गया।