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Monday, July 7, 2025

अलीगढ़ गांव में मंदिर की जमीन पर विवाद, ग्राम पंचायत बना अखाड़ा

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– भाकियू भानु के पदाधिकारी मौके पर, पुलिस और प्रशासन तैनात

अमृतपुर, फर्रुखाबाद। तहसील अमृतपुर क्षेत्र के ग्राम अलीगढ़ कड़क्का में मंदिर की जमीन को लेकर विवाद गहरा गया है। यहां गमा देवी मंदिर की भूमि पर हुए निर्माण को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए हैं। विवाद बढ़ने पर दो थानों की पुलिस के साथ राजस्व विभाग के कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। वहीं भारतीय किसान यूनियन (भानु) के जिला अध्यक्ष संघर्ष के समर्थन में डटे हुए हैं।

ग्रामीणों के अनुसार गांव में आबादी की जमीन पर गमा देवी का मंदिर बना हुआ है, जो कागजों में भी आबादी भूमि के रूप में दर्ज है। मंदिर के पास ही आशा राम मूर्ति के परिजनों द्वारा तीन शौचालयों का निर्माण कराया गया, जिससे मंदिर में पूजा-अर्चना करने वालों को असुविधा हो रही थी। इसी के विरोध में ग्रामीण भीकम पुत्र वेदप्रकाश के नेतृत्व में भगवान शंकर के मंदिर की दीवार खड़ी की जा रही थी, लेकिन मदनपाल, समरपाल, अमित और अनगपाल आदि ने निर्माण कार्य में बाधा डाल दी।

घटना के बाद पुलिस ने समरपाल और मदनपाल कुशवाहा को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर चालान कर दिया। इस कार्रवाई से आक्रोशित होकर भारतीय किसान यूनियन (अखंड प्रदेश) के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सोमवंशी और कार्यकर्ताओं ने अमृतपुर तहसील परिसर में धरना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद धरना स्थल से पैदल मार्च निकाला गया।

धरने के साथ ही अलीगढ़ गांव में महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया। आशा राममूर्ति की तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर विरोध शुरू हुआ। इसी दौरान आशा ड्यूटी पर मौजूद बताई गईं, जिससे मौके पर मौजूद पुलिस और महिलाओं के बीच नोकझोंक की स्थिति बन गई। महिलाएं मंदिर की निर्माणाधीन दीवार पर चारपाई डालकर बैठ गईं
जब पुलिस मौके से थोड़ी देर के लिए हटी, तभी गांव के एक युवक ने दीवार को गिरा दिया, जिसे पुलिस ने तुरंत हिरासत में लेकर थाना राजेपुर भेज दिया।

विवाद की गंभीरता को देखते हुए अमृतपुर और राजेपुर थाना पुलिस के साथ राजस्व विभाग के अधिकारी भी गांव में डटे हुए हैं। एसडीएम अमृतपुर के कोर्ट में होने के चलते प्रशासनिक स्तर पर तुरंत निर्णय नहीं लिया जा सका। वहीं ग्रामीणों और यूनियन कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन जारी है।

यह विवाद धार्मिक भावनाओं, सामुदायिक संतुलन और प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ा है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि दोनों पक्षों से वार्ता कर समाधान की दिशा में कदम उठाए, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।

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