अमृतपुर, फर्रुखाबाद: भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए शासन प्रशासन के साथ जनता का सहयोगी होना जरूरी है। अगर समाज के जागरूक लोग खुद भ्रष्टाचार (Corruption) को दूर करने की पहल करें और उसकी जानकारी शासन एवं प्रशासन तक पहुंचाएं तो निश्चित रूप से इस कम किया जा सकता है। थाना क्षेत्र के ग्राम खुशाली नगला के प्रधान प्रतिनिधि धर्मेंद्र ने कुम्हरौर एवं खुशाली नगला में राशन वितरण को लेकर अवैध रूप से संचालित अपात्र लोगों के राशन कार्ड (ration card) की शिकायत की थी।
इस शिकायत में उन्होंने दर्शाया था कि ऐसे लोगों के राशन कार्ड बनाए गए हैं जो मृतक हैं बंदूक धारी है चार पहिया वाहन उनके पास है अधिक खेती है और तमाम ऐसी चीजे हैं जो राशन कार्ड नियमावली के विरुद्ध है। उच्च अधिकारियों ने इसका संज्ञान लिया और जांच करने का आश्वासन दिया। जिसको लेकर जांच अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची। जिसमें परियोजना अधिकारी कपिल कुमार डीएसओ सुरेंद्र सिंह यादव पूर्ति निरीक्षक अमित चौधरी शामिल थे। इन लोगों ने शिकायत करता के शिकायती पत्र पर ध्यान देते हुए दोनों गांवो में पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू की।
शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत जांच के दौरान सही दिखने लगी। जिसमें ऐसे पति-पत्नी थे जिनमें दोनों लोगों के ही राशन कार्ड बने हुए थे। बंदूकधारी भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे। बड़े-बड़े दो मंजिला मकान में रहने वाले लोग सरकार के द्वारा गरीबों को दिया जाने वाले राशन पर खुलेआम डकैती डाल रहे थे और तो और उन लोगों को भी राशन मिल रहा था जो 5 वर्ष पहले ही मृतक हो चुके थे। इन मृतक में उजागर व रामशरण शामिल है जो कि पहले ही समाप्त हो चुके थे। सुरेंद्र के पास बंदूक सुमन लता एवं उनके पति ओमकार दोनों लोगों के नाम राशन कार्ड सुनैना के पति बीएएमएस डॉक्टर सोनपाल बंदूकधारी मीरा देवी के पति और उनके नाम राशन कार्ड सुखदेवी और अंशु देवी भी अपात्र की श्रेणी में आए।
पूर्व प्रधान के बेटे सत्येंद्र के नाम भी राशन कार्ड पाया गया। जांच अधिकारियों ने मौके पर जब इन चीजों को खंगाला तो 15 से अधिक ऐसे राशन कार्ड पाये गए जो की पूर्ण रूप से गलत थे। बाकी और राशन कार्डों की जांच के लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी। यहां के ग्राम प्रधान ने आरोप लगाते हुए बताया कि कोटेदार की सहमति से यह लोग अपना राशन कार्ड गलत तरीके से बनवा लेते हैं और फिर गरीबों में वितरण किए जाने वाले राशन कार्ड पर खुलेआम डकैती डालते हैं। ऐसा ना हो सके इसलिए उच्च अधिकारियों की जाँच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। यह तो एक बानगी भर थी। अगर इसी तरीके से जांच की जाए तो राजेपुर ब्लाक क्षेत्र के सैकड़ो गांव ऐसे होंगे जहां राशन लेने वाले लोग अपात्र मिलेंगे।
बहुत से राशन प्राप्त करने वाले उपभोक्ता ऐसे हैं जो इस राशन का प्रयोग अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए नहीं बल्कि दुकानों में जाकर इसे बेच देते हैं और उससे धन कमाते हैं या फिर यही अनाज उनके जानवर बड़े ठाठ से खाते हैं। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के इन गांवो में ऐसे भी गरीब लोग निवास करते हैं जो की सरकारी राशन प्राप्त करने के सही हकदार हैं। लेकिन पहुंच ना होने के चलते ना तो उनके राशन कार्ड बन पाते हैं और ना ही उन्हें उनके हिस्से का अनाज मिल पाता है। फिर यह लोग मजदूरी करके ही अपना पेट भरते हैं।
जांच के दौरान ऐसे गरीब पात्रों का भी ध्यान रखना होगा जो इसके सही मायने में लाभार्थी हैं। अब देखना यह है कि यह जांच शिकायतकर्ता की शिकायत पर सिर्फ इन गांवो तक ही सीमित रहेगी या फिर एक अभियान चलाकर जिला के ऐसे गांवो को भी चिन्हित किया जाएगा जहां पर राशन की खुलेआम कालाबाजारी के साथ डकैती डाली जाती है।