यूथ इंडिया शरद कटियार
कन्नौज। कभी समाजवादी पार्टी (सपा) की जिले में धुरी माने जाने वाले पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब, आज सियासी मैदान में अकेले पड़ गए हैं। सपा ने अचानक उनसे किनारा कर लिया है, जिससे उनके समर्थकों में हडक़ंप मच गया है। नवाब का यह पतन केवल कानूनी शिकंजे का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी राजनीतिक साजिश की बू भी आ रही है।
नवाब, जो लंबे समय तक जिले की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे, आज खुद को एक ऐसे मकडज़ाल में फंसा हुआ पा रहे हैं, जहां से निकलना मुश्किल दिख रहा है। उनके खिलाफ एक गंभीर मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसमें उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, इस मुकदमे के पीछे की कहानी जितनी बाहर नजर आती है, उससे कहीं अधिक रहस्यमय और पेचीदा है।
मामला तब और भी सनसनीखेज हो गया, जब यह बात सामने आई कि मुकदमा दर्ज कराने वाली लडक़ी और उसकी बुआ, जो आरोपों के केंद्र में हैं, रात 2 बजे नौकरी लगवाने के बहाने नवाब के पास पहुंचीं थीं। यह सवाल उठता है कि इतनी रात को नौकरी के लिए जाना कितना तर्कसंगत है? क्या यह पूरी घटना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद नवाब को फंसाना था?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि यह पूरा मामला सियासी दुश्मनी का परिणाम हो सकता है। नवाब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ सपा द्वारा उनसे दूरी बनाना, कई सवालों को जन्म दे रहा है। क्या यह सब कुछ एक गहरी साजिश का हिस्सा है? क्या नवाब को उनके सियासी कद को मिटाने के लिए शिकार बनाया जा रहा है?
नवाब के समर्थक इस पूरे मामले को साजिश करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि इस घटनाक्रम के पीछे कुछ ताकतवर राजनीतिक हस्तियों का हाथ हो सकता है। उनके अनुसार, नवाब को फंसाने के लिए यह सारा खेल रचा गया है ताकि उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर किया जा सके।
जैसे-जैसे मामले की परतें खुलती जा रही हैं, यह घटना और भी रहस्यमय होती जा रही है। नवाब के खिलाफ दर्ज आरोपों और सपा से उनके सियासी बहिष्कार के बीच छिपे राजनीतिक समीकरणों का खुलासा होना बाकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार इस मामले में सच्चाई क्या है और नवाब के राजनीतिक करियर का भविष्य क्या मोड़ लेता है।
कन्नौज में पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब का सियासी पतन सपा का किनारा, राजनीतिक साजिश का शिकार?
