ऑडियो वार से लेकर तबादलों तक तकरार, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सीएमओ के पक्ष में उतरे
प्रशांत कटियार
कानपुर। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच कई मुद्दों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब शासन स्तर तक पहुंच गया है। डीएम ने सीएमओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की संस्तुति प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को भेज दी है।
डीएम द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सीएमओ ने स्वास्थ्य संस्थानों में पाई गई खामियों को सुधारने के निर्देशों की अनदेखी की, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत रिक्त पदों का विज्ञापन सार्वजनिक नहीं किया, निर्धारित समयसीमा में साक्षात्कार के परिणाम नहीं जारी किए और मनमाने ढंग से तबादले किए। पत्र में यह भी उल्लेख है कि मात्र 10 दिनों में एक डॉक्टर का नौ बार तबादला किया गया, जिससे कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, वित्तीय कार्यों की ज़िम्मेदार अधिकारी डॉ. वंदना सिंह को हटाकर ऐसे व्यक्ति को नामित किया गया, जिसकी पृष्ठभूमि आर्थिक नहीं थी। डीएम ने सीएमओ के कार्यशैली को ‘भ्रष्ट और दिशाहीन’ बताया और उनकी तत्काल हटाने की मांग की है।
सोशल मीडिया पर ऑडियो वायरल, सीएमओ का एआई क्लिप का दावा
विवाद उस समय और गहराया जब सोशल मीडिया पर एक कथित ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें सीएमओ के चालक सूरज को जिलाधिकारी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते सुना गया। हालांकि, यूथ इंडिया इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है। सीएमओ का कहना है कि यह ऑडियो क्लिप एआई तकनीक से तैयार की गई है, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
जब डीएम ने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा, तो सीएमओ ने एफआईआर कराने की बात कही, मगर देर शाम तक कोई आधिकारिक तहरीर पुलिस को नहीं दी गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नेमी ने अपनी सफाई में कहा कि कुछ प्रभावशाली लोग उनकी पारदर्शी और सख्त कार्यशैली से नाराज़ हैं और उन्हें बदनाम करने की साज़िश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने एक दवा सप्लाई करने वाली फर्म के संदिग्ध भुगतान को रोका था, जिससे उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।
विवाद को राजनीतिक मोड़ तब मिला जब विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ के पक्ष में हस्तक्षेप किया। उन्होंने सीएमओ को जिले में बनाए रखने को कहा है और उनके खिलाफ चल रहे विवाद को दुर्भावनापूर्ण बताया।
शासन स्तर तक पहुंचा मामला
अब यह मामला सिर्फ जिला प्रशासन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि शासन स्तर पर हलचल पैदा कर रहा है। डीएम ने मंडलायुक्त और मुख्य सचिव को भी पत्र लिखकर सीएमओ की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताई है।
कानपुर जैसे महत्वपूर्ण जिले में प्रशासनिक टकराव से स्वास्थ्य सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल जिले की निगाहें शासन के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।