लखनऊ: छोंजिन अंगमो (Chongjin Angmo) ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला (visually impaired woman) बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। शिखर पर पहुंचने के उनके इस संकल्प को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा समर्थन दिया गया। दृढ़ निश्चय के साथ, अंगमो ने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर पहुंचकर अपनी उपलब्धि से लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
दवा के रिएक्शन के कारण आठ साल की उम्र में अपनी दृष्टि खो देने वाली अंगमो की यात्रा उनके दृढ़ निश्चय और साहस का प्रमाण है। अपनी दिव्यांगता के बावजूद, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 29 वर्षीय कर्मचारी एवरेस्ट की अपनी यात्रा शुरू करने से पहले सियाचिन, कुमार पोस्ट (15632 फीट), लद्दाख की अनाम चोटी (19717 फीट) जैसी कई चोटियों पर चढ़ चुकी हैं। उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ श्रेणी के तहत दिव्यांगजन के सशक्तिकरण 2024 के लिए भारत के माननीय राष्ट्रपति से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उनकी सफल चढ़ाई उनकी दृढ़ता, अपनी टीम पर भरोसा और अथक भावना को दर्शाती है। अंगमो की उपलब्धि इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे साहस, निश्चय और दृढ़ संकल्प विपरीत परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अंगमो की उपलब्धि को मानवता के लिए एक प्रेरणा के रूप में मनाता है, जो सशक्तिकरण और समावेशिता की भावना को दर्शाता है जिसे बैंक बढ़ावा देने का प्रयास करता है। अंगमो की कहानी वंचितों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को कथित सीमाओं से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।