हिंदू धर्म में नागों को देवता मानकर पूजा जाता है। हर साल सावन के महीने में नागपंचमी (Nag Panchami) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। साथ ही नागों को दूध पिलाया जाता है। इस साल नाग पंचमी 09 अगस्त को मनाई जाएगी।
नागपंचमी (Nag Panchami) के दौरान भगवान शिव के प्रिय अष्टनागों को पूजा जाएगा। सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है। इस प्रिय महीने में भोलेनाथ के प्रिय नागों की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। आइए, जानते हैं कि नागपंचमी (Nag Panchami) पर किन आठ नागों को देवता स्वरूप पूजा जाता है।
वासुकी नाग
वासुकी नाग को भगवान शिव के गले का श्रृंगार माना जाता है। इसे शेषनाग का भाई माना गया है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय रस्सी की जगह वासुकी नाग को ही मेरप पर्वत पर बांधकर उपयोग किया गया था। वासुकी नाग ने ही बचपन में वासुदेव द्वारा नदी पार करते समय भगवान कृष्ण की रक्षा की थी।
अनन्त नाग
अष्टनागों में अनन्त नाग को अहम माना गया है। उन्हें भगवान श्रीहरि का सेवक माना जाता है। इन्हें शेषनाग भी कहा जाता है। माना गया है कि अनंत नाग के फन पर ही धरती टिकी हुई है। अनंत का अर्थ है कि जिसका अंत न हो सके। अनंत नाग की उत्पत्ति प्रजापतियों से हुई है।
पद्म नाग
पद्म नाग को असम में नागवंशी के रूप में जाना जाता है। पद्म नाग को महासर्प कहा गया है। मान्यता है कि पद्म नाग गोमती नदी के पास शासन करते थे। बाद में ये नाग मणिपुर में जाकर बस गए थे।
महापद्म नाग
महापद्म नाग को शंखपद्म भी कहा जाता है। उनके फन पर त्रिशूल का निशान बना हुआ है। महापद्म नाग सफेद रंग के होते हैं। इनके नाम पर विष्णु पुराण में भी वर्णन किया गया है।
तक्षक नाग
माना जाता है कि तक्षक नाग पाताल में रहते हैं। इनका वर्णन महाभारत में भी किया गया है। तक्षक नाग की मां का नाम क्रूद है और पिता का नाम कश्यप है।
कुलीर नाग
कुलीर नाग को ब्राह्मण कुल का माना जाता है। शास्त्रों में जगत पिता ब्रह्मा जी से इनका संबंध बताया गया है। कुलीर नाग अष्टनागों में से एक माने जाते हैं। इनकी पूजा नाग पंचमी पर की जाती है।
कर्कट नाग
कर्कट नाग को भगवान शिव का एक गण माना जाता है। यह नाग बहुत भयानक दिखते हैं। मान्यता है कि कर्कट नाग की पूजा करने से काली के श्राप से मुक्ति मिलती है।
शंख नाग
अष्टनागों में शंख नाग सबसे तेज बुद्धि वाले माने गए हैं। शंख नागों की अष्टनागों में अहम जगह मानी जाती है। नागपंचमी के दिन इनकी भी पूजा की जाती है।