स्वाभिमानी मराठा महासंघ व राष्ट्रीय अधिवक्ता मंच ने जताई गहरी चिंता, युद्धविराम को बताया पाकिस्तान की सैन्य रणनीति का हिस्सा
लखनऊ। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम समझौते को लेकर देश के राष्ट्रवादी संगठनों में चिंता बढ़ती जा रही है। आंतरराष्ट्रीय स्वाभिमानी मराठा महासंघ के संस्थापक डॉ. कृषीराज टकले पाटील और राष्ट्रीय अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष प्रितपाल सिंग ने संयुक्त बयान जारी करते हुए इस युद्धविराम को भारत की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा बताया है।
डॉ. टकले पाटील ने कहा, “इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने हर युद्धविराम का उल्लंघन किया है। उसने इन संधियों का प्रयोग केवल अपनी सैन्य और आतंकी गतिविधियों को सुदृढ़ करने के लिए किया है। वर्तमान में हुआ युद्धविराम भी उसी कड़ी का हिस्सा प्रतीत होता है।” उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि सीमा पर चौकसी बनाए रखी जाए और किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए सेना पूर्णतः सतर्क रहे।
वहीं, अधिवक्ता प्रितपाल सिंह राठौर ने कहा, “पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और वहां सक्रिय आतंकी संगठनों की मौजूदगी को देखते हुए युद्धविराम पर आंख मूंदकर भरोसा करना नासमझी होगी। यह भारत की सुरक्षा के साथ समझौता करने जैसा होगा।”
दोनों नेताओं ने सरकार से यह भी मांग की कि इस तरह के समझौतों से पहले संसद और विशेषज्ञों की राय अवश्य ली जानी चाहिए, जिससे देशहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा सके।
इस बयान के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर नई बहस छिड़ गई है। अब निगाहें सरकार की रणनीतिक प्रतिक्रियाओं पर टिकी हैं।