शरद कटियार
हर वर्ष 3 मई को अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन मूल्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है जिनके तहत पत्रकार समाज में सच्चाई, निष्पक्षता और पारदर्शिता की मशाल लेकर चलते हैं।
लोकतंत्र के तीन पारंपरिक स्तंभ – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ-साथ मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। यह समाज को जागरूक करने, सरकार की नीतियों की समीक्षा करने और जनभावनाओं को स्वर देने का कार्य करता है। इसलिए, मीडिया की स्वतंत्रता केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती की नींव है।
आज के समय में पत्रकारों को सत्य को सामने लाने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कहीं राजनीतिक दबाव, कहीं व्यवसायिक हित, कहीं धमकियाँ तो कहीं सेंसरशिप की दीवारें। लेकिन इसके बावजूद अनेक पत्रकार अपने कर्तव्यों का निडरता से निर्वहन कर रहे हैं।
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में पत्रकारिता की जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है। क्षेत्रीय पत्रकारों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक, खबरों की सच्चाई और जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना बेहद जरूरी है। हालांकि, कई बार पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के चलते परेशान किया जाता है, उनके ऊपर झूठे मुकदमे किए जाते हैं या शारीरिक हमले होते हैं। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।
इस दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पत्रकारों की आवाज को दबने नहीं देंगे। हम सत्य की पत्रकारिता का समर्थन करेंगे और एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और जवाबदेह मीडिया की स्थापना में अपना योगदान देंगे।
‘अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस’ की सभी पत्रकार बंधुओं को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सम्मान। आपकी कलम ही समाज का आईना है — इसे न झुकने दें, न बिकने दें।