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Tuesday, March 11, 2025

चंडीगढ़ बॉर्डर पर कड़ी बैरिकेडिंग, किसान सड़कों पर डटे

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चंडीगढ़/अमृतसर। पंजाब और हरियाणा में किसानों (Farmers) का आंदोलन एक बार फिर उग्र हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान संगठनों के नेतृत्व में हजारों किसान दिल्ली कूच की तैयारी में हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए चंडीगढ़ सहित सभी बॉर्डरों पर कड़ी बैरिकेडिंग कर दी है। नाराज किसानों ने विरोधस्वरूप सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वहीं, अमृतसर में किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं।

दिल्ली कूच को देखते हुए प्रशासन ने चंडीगढ़ के सभी बॉर्डरों को सील कर दिया है। हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है और सड़कों पर बड़े-बड़े कंटेनर, लोहे के बैरिकेड और कंटीले तार लगाकर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हाईवे पर सीमेंट की दीवारें खड़ी कर दी गई हैं, ताकि किसानों को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला और अंबाला के बॉर्डरों पर पुलिस का कड़ा पहरा ।

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस सुरक्षा घेरे को “तानाशाही रवैया” करार दिया है और कहा है कि वे किसी भी सूरत में अपनी मांगों को मनवाकर ही रहेंगे।

अमृतसर में गिरफ्तारी के खिलाफ किसानों का जबरदस्त प्रदर्शन

अमृतसर में पुलिस द्वारा कुछ किसान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में किसानों ने सड़क और रेलवे ट्रैक जाम कर दिए। सुबह से ही हजारों किसान रेलवे ट्रैक और हाईवे पर बैठ गए, जिससे यातायात बाधित हो गया। रेलवे ट्रैक पर बैठकर किसानों ने रेल यातायात रोका गया। नेशनल हाईवे-1 (GT रोड) पर जाम, वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। कई जगह पुलिस और किसानों में तीखी नोकझोंक हुई, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि गिरफ्तार किए गए किसानों को तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो पूरे पंजाब में आंदोलन और तेज किया जाएगा।

किसानों की प्रमुख मांगें हैं, कि किसानों की सबसे बड़ी मांग सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देना है। किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी: 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए केस वापस लिए जाएं। किसान बिजली संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं और सब्सिडी यथावत रखने की मांग कर रहे हैं। छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज पूरी तरह माफ किए जाएं।स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि “जब तक सरकार किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं करती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने पुराने समझौतों को पूरा नहीं किया, इसलिए अब हमें फिर से सड़कों पर उतरना पड़ा है।”

इस किसान आंदोलन के चलते पंजाब और हरियाणा में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और हरियाणा-पंजाब के सभी बॉर्डरों पर पुलिस कड़ी निगरानी रख रही है। चंडीगढ़, अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत और करनाल जैसे प्रमुख इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बाधित की जा सकती हैं।

पिछले किसान आंदोलन से सबक लेते हुए इस बार प्रशासन ने पहले से ही कड़ी तैयारी कर रखी है। हालांकि, किसानों का कहना है कि वे किसी भी हालत में दिल्ली कूच करेंगे और अगर उन्हें रोका गया, तो आंदोलन पूरे देश में फैल जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि यदि सरकार ने जल्द कोई समाधान नहीं निकाला, तो आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाया जाएगा।

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