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Tuesday, June 24, 2025

राजा भान सिंह गंगवार की 16 पीढ़ियों की वंशावली का हुआ अनावरण

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– भटासा के 100 वर्ष पुराने मंदिर श्री रामचन्द्र जी महाराज में रामनवमी के अवसर पर हुआ भव्य आयोजन
– हवन-पूजन और भंडारे का आयोजन भी बना आकर्षण का केंद्र

फर्रुखाबाद/नवाबगंज (भटासा)। ग्राम भटासा में आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना जब प्रसिद्ध जमींदार मराठा छत्रप राजा भान सिंह गंगवार की 16 पीढ़ियों की वंशावली का अनावरण एक भव्य कार्यक्रम के दौरान किया गया। यह अवसर विशेष इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि यह आयोजन उनके वंसज रणजीत सिंह द्वारा स्थापित 100 वर्ष पुराने राजा राम मंदिर के शताब्दी वर्ष और रामनवमी पर्व के पावन अवसर पर संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में परिवार की क्षेत्रीय विधायक डॉ. सुरभि एवं उनके पति, प्रसिद्ध चिकित्सक और समाजसेवी डॉ. अजीत सिंह गंगवार उपस्थित रहे। दोनों ने विधिवत पूजा-अर्चना और हवन-पूजन में भाग लेकर वंशावली का अनावरण किया। वंशावली में कुल 16 पीढ़ियों के गौरवशाली इतिहास को सहेजा गया है, जिसमें परिवार की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलती है।

रामनवमी के अवसर पर मंदिर परिसर में भव्य हवन-पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें गाँव और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ संपन्न हुआ और पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। इसके पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

इस गरिमामय आयोजन की संकल्पना बार एसोसिएशन फतेहगढ़ के पूर्व अध्यक्ष जवाहर सिंह गंगवार द्वारा की गई, जो स्वर्गीय शीतल प्रसाद गंगवार के सुपुत्र हैं। आयोजन में सिटी हॉस्पिटल के संस्थापक,होटल मनकामेश्वर के मालिक, मनोज गंगवार ( विवेक कुमार ) परिवार के अन्य वरिष्ठ सदस्य एवं युवा पीढ़ी के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी देखने को मिली। सभी ने इस आयोजन को पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम बताया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, परिवारजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।परिवार के दीपक गंगवार ने सभी व्यवस्थाएं कीं।लोगों ने राजा राम मंदिर के ऐतिहासिक महत्व और गंगवार वंश की सामाजिक भूमिका को सराहा। वंशावली देखने के बाद कई बुजुर्ग भावुक हो उठे और बोले कि इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

इस आयोजन ने न केवल पारिवारिक इतिहास को पुनर्जीवित किया, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में एक सशक्त सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश भी प्रसारित किया। मंदिर के 100 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित यह समारोह क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बना।

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