उत्तराखंड का नैनीताल केवल झीलों और भीड़भाड़ वाले पर्यटन स्थलों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि इसके शांत और अप्रसिद्ध कोनों में भी प्रकृति ने अपने असली रंग बिखेरे हैं। इन्हीं में से एक है — पंगोट के आगे स्थित छोटा-सा गाँव ‘घुग्घू खाम’ (Ghuggu Kham)।
यह स्थान उस सुकून का प्रतीक है जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में दुर्लभ होता जा रहा है।
घुग्घू खाम नैनीताल से लगभग 19 किलोमीटर दूर पंगोट के आगे बसा है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई करीब 7,200 फीट (लगभग 2,195 मीटर) है। यहाँ पहुँचते ही ठंडी हवाओं की थपकियाँ और देवदार, चीड़ और ओक के वृक्षों की खुशबू यात्रियों का स्वागत करती है।
यहाँ का हर दृश्य एक प्राकृतिक चित्रकार की कूची से निकला हुआ लगता है — नीला आसमान, हरियाली से लिपटी घाटियाँ और सुबह के वक्त पक्षियों की चहचहाहट से गूँजता वातावरण। यही कारण है कि घुग्घू खाम को कुमाऊँ का “बर्ड वॉचिंग पैराडाइज” कहा जाता है।
पंगोट और घुग्घू खाम का इलाका पक्षी प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। यहाँ ब्लैक बुलबुल, ब्लू व्हिसलिंग थ्रश, ग्रे हेडेड वुडपेकर, और हिल पार्ट्रिज जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं।
सुबह के समय जब धुंध धीरे-धीरे उठती है और पेड़ों पर बैठी चिड़ियाँ गुनगुनाती हैं, तब यह जगह एक जीवंत संगीत सभा जैसी लगती है।
ट्रेकिंग और नेचर वॉक: घुग्घू खाम के आसपास कई ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जो घाटियों और जंगलों के बीच से गुजरते हैं। यह रास्ते फोटोग्राफी के लिए भी बेहद आकर्षक हैं। फोटोग्राफी: सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त घाटियों में गिरती सुनहरी रोशनी हर फोटोग्राफर का सपना होती है। गाँव जीवन का अनुभव: यहाँ के लोग सरल, आतिथ्यपूर्ण और प्रकृति-प्रेमी हैं। उनकी जीवनशैली आज भी पारंपरिक कुमाऊँ संस्कृति से जुड़ी है।
जनगणना 2011 के अनुसार, घुग्घू खाम की जनसंख्या लगभग 398 है।
पुरुष साक्षरता दर लगभग 84%, जबकि महिला साक्षरता दर लगभग 61% है — जो ग्रामीण हिमालयी क्षेत्रों के लिए एक अच्छा संकेत है।
यहाँ के निवासी खेती, पशुपालन और पर्यटन से जुड़े छोटे व्यवसायों से अपनी आजीविका चलाते हैं।
सड़क मार्ग: नैनीताल से लगभग 19 किमी की दूरी पर स्थित घुग्घू खाम तक टैक्सी या निजी वाहन से पहुँचा जा सकता है। मार्ग हरे-भरे पहाड़ों और घुमावदार सड़कों से होकर गुजरता है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (Kathgodam) है, जहाँ से पंगोट तक टैक्सी आसानी से उपलब्ध है।
हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर (Pantnagar Airport) है, जो लगभग 90 किमी दूर है।
कब जाएँ?
अप्रैल से जून: गर्मियों में मौसम सुहावना और आसमान साफ रहता है — ट्रेकिंग और फोटोग्राफी के लिए आदर्श समय।
सितंबर से नवंबर: बरसात के बाद घाटियों की हरियाली अपनी चरम पर होती है।
दिसंबर से जनवरी: बर्फबारी का आनंद लेना चाहें तो सर्दियों में आएँ, हालांकि तापमान शून्य से नीचे चला जाता है।
घुग्घू खाम की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी अविकृत प्रकृति। यहाँ का पारिस्थितिक संतुलन अब तक बड़े पैमाने पर सुरक्षित है।
स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन इस क्षेत्र को इको-टूरिज़्म जोन के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं ताकि पर्यटन बढ़े लेकिन पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
घुग्घू खाम कोई सामान्य गाँव नहीं, बल्कि एक अनुभव है — जो व्यक्ति को प्रकृति के करीब लाता है और आत्मा को शांति का अहसास कराता है।
जहाँ हवा में देवदार की खुशबू है, घाटियों में पक्षियों का संगीत है, और हर सुबह सूरज की किरणें झीलों पर सुनहरी चादर बिछा देती हैं।
> “यदि नैनीताल शहर की धड़कन है,
तो घुग्घू खाम उसकी आत्मा है।”
यहाँ आकर एहसास होता है कि सच्ची यात्रा वही है जो मन को स्थिर कर दे — और घुग्घू खाम वही जगह है जहाँ प्रकृति स्वयं आपको अपने पास बुलाती है।
“यूथ इंडिया” के पाठकों के लिए घुग्घू खाम एक ऐसा स्थल है जहाँ यात्रा केवल पर्यटन नहीं, बल्कि आत्मिक संवाद बन जाती है।
यह हिमालय की गोद में छिपा हुआ वह रत्न है जिसे देखने के बाद मन कह उठता है —
“चलो, थोड़ा सा वक्त प्रकृति को जीकर आते हैं।”






