स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट | यूथ इंडिया एक्सक्लूसिव, कन्नौज से फर्रुखाबाद तक फैला ‘वकील माफिया गैंग’ का जाल

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लोकायुक्त में गबन, और सरकारी जमीन करीब 200 करोड़ कीमती पर कब्जे की शिकायत करने वाले मनोज अग्निहोत्री पर चला फर्जी मुकदमों का तांडव
शातिर वकील अवधेश मिश्रा और माफिया अनुपम दुबे के गठजोड़ से निर्दोषों पर दलित एक्ट और बलात्कार के झूठे केस दर्ज

शरद कटियार, यूथ इंडिया

फर्रुखाबाद/कन्नौज।कानून के संरक्षक की आड़ में अपराध का संरक्षण देने वाला एक संगठित माफिया नेटवर्क कन्नौज से लेकर फर्रुखाबाद तक सक्रिय है। इस गैंग के सरगना फर्रुखाबाद के शातिर वकील अवधेश मिश्रा, जिसका जाल प्रशासनिक तंत्र से लेकर अदालतों तक फैला हुआ है।
कन्नौज मे इस पूरे षड्यंत्र का शिकार बने हैं कन्नौज जनपद के थाना सौरिख क्षेत्र के ग्राम चपुन्ना निवासी मनोज अग्निहोत्री, जिन्होंने करोड़ों के सरकारी गबन और छिबरामऊ बिधूना हाईवे के किनारे 200 करोड़ की सरकारी जमीन कब्जे के खिलाफ आवाज उठाई थी।

लोकायुक्त से लेकर कोर्ट तक: सच बोलने की सजा

मनोज अग्निहोत्री ने माफिया अनुपम दुबे, उसके रिश्तेदार दिलीप त्रिपाठी, सत्य स्वरूप मिश्रा, और भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व कन्नौज अध्यक्ष नेहा त्रिपाठी के खिलाफ लोकायुक्त में सरकारी गबन की शिकायत दर्ज कराई थी।
साथ ही कन्नौज मे छिबरामऊ-बिधूना हाईवे किनारे की करीब ₹200 करोड़ की सरकारी भूमि (गाटा संख्या 10 ख, 260 घ, और 41) के कूटरचित अभिलेख तैयार कर फर्जी खतौनी चढ़वाने का मामला उजागर किया गया था। यह मामला तब कथा जब कन्नौज जिला नहीं बनता 19 74 की खतौनी में माफिया अनुपम दुबे ने अपने रिश्तेदारों के नाम अपने को क्या साथी अवधेश मिश्रा की मदद से 2016 में चकबंदी अधिकारी अंतिम अभिलेख के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर खतौनी में नाम दर्ज करा लिया था।
जांच में जब सच्चाई सामने आई, तो फर्रुखाबाद प्रशासन ने गोलमाल सही पाया और कार्रवाई के लिए कन्नौज प्रशासन को पत्र लिखा उधर उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त ने 2019 में नेहा त्रिपाठी को मनोज अग्निहोत्री की शिकायत पर जांच में दोषी पाया और मामला चर्चा में आ गया।
बस यही सच बोलने की कीमत मनोज अग्निहोत्री और उनके परिवार को चुकानी पड़ी। और उन्हें फर्जी बलात्कार के मुकदमों की सजा भोगनी पड़ी आज भी वह झूठे मुकदमों को ढोते हुए शासन प्रशासन में न्याय की गुहार लगाते फिर रहे हैं उनका पूरा परिवार चिन्ह भिन्न हो गया जीवन पूरी तरह बर्बाद हो गया।

वकील-माफिया गठजोड़ का खेल: फर्जी मुकदमों से शिक्षाविद मनोज अग्निहोत्री का उत्पीड़न

माफिया अनुपम दुबे और उसके गैंग की शिकायत के बाद फतेहगढ़ में अनुपम के साथी अवधेश मिश्रा ने अपने माफिया नेटवर्क के जरिए कन्नौज की एक दलित महिला (गांव जरियापुर निवासी, माफिया अनुपम दुबे के रिश्तेदार की करीबी) से थाना सोरीक में वर्ष 2021 में बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज कराया।
मामले में संदीप तिवारी नाम के व्यक्ति पर नामजद रिपोर्ट लिखी गई, लेकिन अवधेश मिश्रा और अनुपम दुबे के दबाव में महिला से न्यायालय में धारा 164 के तहत बयान दिला कर चपुन्ना थाना सौरिख निवासी शिक्षाविद मनोज अग्निहोत्री का नाम जोड़ दिया गया। माफिया अनुपम दुबे ने फतेहगढ़ के अपने साथी संजीव परिया की मदद से मनोज अग्निहोत्री को उसे मुकदमे में आजीवन कारावास कर दी जिन्हें हाई कोर्ट इलाहाबाद से राहत मिली।

इसके बाद, मनोज अग्निहोत्री, उनके परिजनों और 26 सहयोगियों पर दलित एक्ट, छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के नौ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए, ताकि उन्हें समाजिक और कानूनी रूप से कुचला जा सके। इसके अलावा दर्जनों फर्जी घटनाएं बनाकर उनके खिलाफ शासन प्रशासन तक झूठी शिकायतें की गई जिससे उनका जीना हराम हो गया।

जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह की जांच ने ख़ोला राज

हाईवे की 200 करोड़ वेश कीमती जमीन पर कूट रचना कर अभिलेखों में अपना नाम दर्ज करने के मामले मेंमनोज अग्निहोत्री की शिकायत पर फर्रुखाबाद के तत्कालीन डीएम संजय कुमार सिंह ने नगर मजिस्ट्रेट सतीश कुमार से जांच कराई। जांच दिसंबर 2023 में पूरी हुई,
जांच में पाया गया कि चकबंदी अधिकारी दीपक कुमार (तत्कालीन बिजनौर में तैनात) के फर्जी हस्ताक्षर कर 1974 क़ी फर्रुखाबाद मे खतौनी कूटरचित तैयार की गई थी।
डीएम फर्रुखाबाद ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि “यह गंभीर कूटरचना है” और मामले को कन्नौज के जिलाधिकारी को दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही और अभियोग पंजीकृत करने के लिए भेज दिया।
हालांकि, शातिर गैंग ने हाईकोर्ट से स्थगन आदेश (Stay Order) लेकर कार्रवाई रोक दी। हालांकि उसके बाद कन्नौज जिला प्रशासन ने अनुपम और धर्मेंद्र त्रिपाठी की कुछ संपत्तियां कुर्क भी की हैं।

धमकियां और रंगदारी: फर्रुखाबाद तक पीछा

लोकायुक्त के सामने सच उजागर होने के बाद अवधेश मिश्रा और उसके सहयोगियों ने फर्रुखाबाद में भी मनोज अग्निहोत्री का पीछा नहीं छोड़ा।
श्री अग्निहोत्री का कहना है कि उन्हें कई बार अवधेश मिश्रा ने फतेहगढ़ में धमकाया और कहा—
> “अगर नहीं माने, तो कन्नौज की तरह फर्रुखाबाद में भी तुम्हारे खिलाफ झूठे मुकदमे लिखवा दूंगा, आजीवन जेल जाओगे।”
उन्होंने बताया कि बाद में रंगदारी की मांग तक की गई और जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उनके घर तक धमकाने पहुंच गया यह गैंग।
थक-हारकर मनोज अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि “कानून के नाम पर अपराध करने वाले ऐसे गैंग से न सिर्फ मुझे, बल्कि न्याय व्यवस्था को भी खतरा है।”
सवाल उठता है, क्या कानून के रक्षक वकील के नाम पर ऐसे माफिया नेटवर्क को प्रशासन संरक्षण दे रहा है?
निर्दोषों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने वाले ऐसे गैंग पर आखिर कब कार्रवाई होगी?
क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “जीरो टॉलरेंस” के दौर में भी ऐसे अपराधी बच निकलेंगे?
यूथ इंडिया की खोजी टीम ने इस प्रकरण के कई दस्तावेजों की पुष्टि की है।जांच के नए आयाम यह बताते हैं कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का उत्पीड़न नहीं, बल्कि कानूनी व्यवस्था को अपने हित में मोड़ने वाला पूरा ‘वकील-माफिया गठजोड़’ है। यूथ इंडिया इस प्रकरण की परतें खोलता रहेगा…
(जुड़े रहें अगले भाग में – “कूटरचित खतौनी से कोर्ट तक कैसे बना अपराध का नेटवर्क”)

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