मथुरा। उत्तर प्रदेश में न्याय पाने के लिए लोगों को किस हद तक संघर्ष करना पड़ रहा है, इसका ताजा उदाहरण मथुरा में देखने को मिला। सौंख थाना क्षेत्र की एक युवती ने पुलिस की निष्क्रियता और न्याय न मिलने से हताश होकर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। गनीमत रही कि मौके पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया, लेकिन यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर रही है।
22 वर्षीय युवती न्याय की मांग को लेकर सौंख पुलिस चौकी पहुंची और आरोप लगाया कि उसकी शिकायत पर कई दिनों से कोई कार्रवाई नहीं हो रही। हताशा में युवती ने पेट्रोल निकालकर खुद पर डाल लिया और आग लगाने का प्रयास किया।
युवती ने बताया कि वह स्थानीय दबंगों द्वारा शोषण और धमकी की शिकार है।
आरोपियों के खिलाफ शिकायत देने के बाद भी सौंख चौकी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
“जब पुलिस ही नहीं सुनती, तो मैं कहां जाऊं?” — पीड़िता की यह पुकार वायरल वीडियो में सुनी गई।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला पारिवारिक विवाद से जुड़ा है और जांच जारी है।
चौकी प्रभारी को प्राथमिक जांच के बाद लाइन हाजिर कर दिया गया है।
एसपी सिटी मथुरा ने बयान जारी कर कहा— “किसी भी नागरिक को न्याय मिलने में देरी न हो, यह हमारी प्राथमिकता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच की जा रही है।”
मुख्य सचिव गृह विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किया है कि महिला शिकायतों पर 48 घंटे में कार्रवाई अनिवार्य की जाए।
राज्य महिला आयोग ने भी मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है।
मथुरा की घटना केवल एक युवती की पीड़ा नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की उस कड़वी सच्चाई की झलक है, जहां आज भी न्याय के लिए लोगों को गुहार लगानी पड़ती है, और कभी-कभी आत्मदाह तक की नौबत आ जाती है। पुलिस की लापरवाही, सामाजिक दबाव और प्रशासनिक सुस्ती मिलकर न्याय प्रणाली की साख को प्रभावित कर रही है। अगर अब भी सुधार न हुआ, तो यह विश्वास का संकट और गहराएगा।